देहरादून:सल्ट विधानसभा उपचुनाव के नजीतों के लिए रविवार को मतगणना होनी है. सल्ट विधानसभा उपचुनाव को 2022 विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी, कांग्रेस से साथ तमाम छोटे-बड़े सियासी दल इस लड़ाई में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. सल्ट उपचुनाव को इस बार का सत्ता की सीढ़ी के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके कारण इस उपचुनाव की अहमियत और बढ़ गई है.
सल्ट विधानसभा चुनाव को अगर पार्टियों के जनाधार के तौर पर देखा जाये तो ये सीट बीजेपी और कांग्रेस के नाम ही रही है. यहां क्षेत्रीय दलों का ज्यादा दखल नहीं रहा है. राज्य स्थापना के बाद से ही सल्ट विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. कांग्रेस के लिहाज से बात करें तो हरीश रावत के करीबी रहे रणजीत सिंह रावत यहां से दो बार विधायक रहे. जिसके कारण इस बार कांग्रेस को फिर से जीत की उम्मीद है, इसके अलावा हरीश रावत इस क्षेत्र के बड़े नेता हैं, जिसके कारण ये उम्मीदें और भी ज्यादा हैं.
अस्पताल से हरीश रावत कर चुके हैं अपील
सल्ट सीट कांग्रेस के लिए कितनी अहमियत रखती है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हरीश रावत कोरोना काल में भी अस्पताल से गंगा पंचोली के लिए अपील कर चुके हैं. यहीं, नहीं अस्पताल से डिस्चार्च होने के बाद चुनाव प्रचार के आखिरी दिन हरीश रावत ने गंगा पंचौली के समर्थन में कई जनसभाएं की. जिसके कारण अब सल्ट का चुनाव हरीश रावत की साख का चुनाव बन चुका है.
विरोधियों को कड़ा संदेश देना चाहते हैं हरदा
असल में सल्ट विधानसभा का उपचुनाव इसलिए भी हरीश रावत के लिए अहम हो गया है कि ये इलाका उनके गृह क्षेत्र से बहुत करीब सटा हुआ है. साथ ही इसके नतीजों के जरिए वो अपनी राजनीतिक विरोधियों को भी कड़ा संदेश देना चाहते हैं. यही कारण है कि वो सोशल मीडिया, जनसभा के जरिए लगातार गंगा पंचोली को जीताने की अपील कर रहे हैं. कुछ दिन पहले उन्होंने गंगा पंचोली की जीत को खुद के जीवन-मरण से जोड़ा था.