विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने. देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा में बैक डोर से भर्ती कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी के विरोध में अब सड़को पर उतर आए हैं. बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा के गेट के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और धरने पर बैठ गए. उनका कहना है कि 2016 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, जबकि उससे पहले के जितने भी कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है उनको परमानेंट कर दिया गया. कर्मचारियों का कहना है कि उनके लिए जिस नियम का हवाला दिया जा रहा है, जिस भ्रष्टाचार की बात कही जा रही है. उसी तरह पहले भी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है.
इस मामले में भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि भाजपा ने नैतिक साहस दिखाते हुए विधानसभा में भर्ती प्रकरण की जांच कर नियुक्तियां रद्द की और अब कांग्रेस की बारी है की वो भी मिसाल कायम करे. नैतिकता की शुरुआत स्वयं से होती है, लिहाजा कांग्रेस को सबसे पहले अपनी पार्टी से रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर अवैध नियुक्तियों को लेकर कार्रवाई करनी चाहिए, अब चाहे वह गोविंद सिंह कुंजवाल हों या सदन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, जिन्हें कैबिनेट मंत्री के अधिकार भी प्राप्त है. सवाल रहा भाजपा का तो उन्होंने बिना अपने-पराए में भेदभाव करते हुए साल 2016 के बाद की सभी तदर्थ नियुक्तियाँ को रद्द किया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई है.
बैकडोर भर्ती में बर्खास्त कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन इस मामले में अब कांग्रेस भी सफाई देती हुई नजर आ रही है. साथ ही भाजपा पर भी सवालों की बौछार कर रही है. कांग्रेस का मानना है कि उनकी सरकार के समय विधानसभा स्पीकर रहे गोविंद सिंह कुंजवाल जब अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं और कार्रवाई की बात कर रहे हैं, तो भाजपा के समय पर हुई भर्ती को लेकर क्यों नहीं उनके राजनेता स्वीकार कर रहे हैं. यह एक छलावा जनता के साथ किया जा रहा. है अगर भाजपा इतनी साफ-सुथरी है तो 2000 से लेकर अब तक हुई भर्तियों पर निरपेक्ष कार्रवाई करे.
सोमवार को विधानसभा के बाहर विधानसभा में 2016 से 22 तक की तदर्थ नियुक्तियों के बाद बर्खास्त होने वाले 228 कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान कर्मचारियों ने उनके साथ भेदभाव और एकतरफा कार्रवाई को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज की. वहीं इस दौरान विधानसभा से बर्खास्त सभी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करते नजर आए. कर्मचारियों की मांग है कि राज्य गठन के बाद से लेकर लगातार एक ही प्रक्रिया के तहत तदर्थ नियुक्तियां की जा रही हैं और साथ ही साथ उन्हें नियमित भी किया जा रहा है.
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लेकिन वर्ष 2016 के बाद हुई तदर्थ नियुक्तियों पर विधानसभा अध्यक्ष का कार्रवाई करना कहीं ना कहीं पक्षपात दिखाता है. विधानसभा से बर्खास्त हुए इन कर्मचारियों का कहना है कि 2016 से पूर्व हुई तदर्थ नियुक्तियों को लेकर भी उसी तरह से फैसला होना चाहिए जिस तरह से उनके साथ किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2016 से पहले हुई नियुक्तियों में कई नेताओं द्वारा लगाए गए लोगों को बचाया जा रहा है और यह अधूरा न्याय है.
ये है मामला:बता दें कि विधानसभा में 2016 से 2021 तक हुई विधानसभा बैकडोर भर्तियों के चलते 228 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था. प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाई कि विधानसभा गठन के बाद से अभी तक हुई सभी भर्तियों की जांच की जाए. बर्खास्त कर्मियों ने विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने पिता भुवन चंद्र खंडूरी के कार्यकाल में हुई भर्तियों को बचाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने 2016 के बाद की भर्तियों को निरस्त किया है.
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वहीं विधानसभा से बर्खास्त हुई महिला कर्मियों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. ऐसे में अब अपना घर कैसे चलाएंगी. उनके सामने विकराल समस्या खड़ी हो गई है. दरअसल, हाल ही में विधानसभा बैकडोर भर्तियों को लेकर 228 पदों को निरस्त कर दिया गया था. जिसके बाद नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों ने आज धरना देते हुए प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया.