मसूरीःमशहूर अंग्रेजी लेखक और पद्मश्री, पद्मभूषण रस्किन बॉन्ड लोगों को लेखक बनने के गुर सिखा रहे हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने उनलू क्लास के जरिए लोगों को ये संदेश दिया. उन्होंने कहा कि आपके दिमाग में चल रही बातें मस्ती से होते हुए आपके हाथ से गुजरते हुए आपकी अंगुलियों तक पहुंच कर पेन के माध्यम से कागजों में उभरती है. उन्होंने कहा कि अच्छा पढ़ो और अच्छा लिखो, यही अच्छे लेखक का मंत्र है.
अपने बारे में बोलते हुए रस्किन बॉन्ड ने बताया कि ये उनकी सच्ची कहानी है. जब उन्होंने अपनी पहली किताब लिखी थी, जिसे पूरा करने में उन्हें 4 साल लग गए. वे आगे कहते हैं कि ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है कि किसी को एक रात में कामयाबी मिल जाए. वे कहते हैं कि 1963 से 2021 तक उन्होंने अपने जीवन अपनी लेखनी के माध्यम से जी है. इसलिए वे अभी भी अपने को रिटायर नहीं मानते.
रस्किन बॉन्ड ने कहा कि आप 7 साल के हों, 17 के या फिर 70 साल के, अगर आपको लिखना है तो आपको आगे बढ़ना ही पड़ेगा. आपको जीवन में किताबें पढ़ते रहना चाहिए, जिससे आपके शब्दकोश मजबूत हो और एक दिन आपको यह कहते हुए संतुष्टि मिलेगी कि आप एक लेखक नहीं एक रचयिता हो.
पढ़ेंः CM के फिल्मी स्टाइल में छापे, कहीं 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी तो नहीं
रस्किन बॉन्ड का परिचय
अंग्रेजी भाषा के बेहतरीन लेखक रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था. उनके पिता रॉयल एयर फोर्स में थे. जब वह चार साल के थे तब उनके माता-पिता में तलाक हो गया था. जिसके बाद उनकी मां ने एक हिन्दू से शादी कर ली थी. बॉन्ड का बचपन जामनगर, शिमला में बीता. 1944 में पिता की अचानक मृत्यु के बाद बॉन्ड देहरादून में अपनी दादी के साथ रहने लगे. उस समय उनकी उम्र तकरीबन दस साल होगी.
रस्किन बॉन्ड ने अपनी पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पूरी की. इसके बाद वे लंदन चले गए. बचपन से ही लिखने का शौक होने की वजह से बॉन्ड कॉलेज तक आते-आते एक मंझे हुए लेखक बन गए. तब उन्होंने कई अवॉर्ड भी जीते. उन्होंने 17 साल की उम्र में पहला उपन्यास ‘रूम आन द रूफ’ लिखी. इसके लिये उन्हें 1957 में जान लिवेलिन राइस पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार 30 साल से कम उम्र के कामनवेल्थ नागरिक को इंग्लैंड में प्रकाशित अंग्रेजी लेखन के लिये दिया जाता है.
उन्होंने अगले कुछ साल स्वतंत्र लेखक के रूप में बिताए. अखबारों और पत्रिकाओं के लिए लघु कथाओं और कविताओं को कलमबद्ध किया. 1963 में वे मसूरी में रहने चले गए, जहां उन्होंने अपने लेखन करियर को आगे बढ़ाया.
रस्किन बॉन्ड ने अब तक 500 से ज्यादा कहानियां, उपन्यास, संस्मरण और कविताएं लिखी हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चों के लिए हैं. बॉलीवुड में रस्किन बॉन्ड की कई कहानियों पर फिल्में बन चुकी हैं. जिसमें शशि कपूर की फिल्म ‘जुनून’ (1978) शामिल है. यह फिल्म बॉन्ड की मशहूर किताब ‘अ फ्लाइट ऑफ पिजन्स’ पर आधारित है. निर्देशक विशाल भारद्वाज रस्किन की कहानी ‘ब्लू अंब्रेला’ पर फिल्म बना चुके हैं. जिसे कई पुरस्कार भी मिले थे. हाल में विशाल भारद्वाज ने उनकी कहानी पर ‘सात खून माफ’ की नाम की फिल्म बनाई, जिसमें अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने काम किया था.
रस्किन बॉन्ड को 1992 में अंग्रेजी लेखन के लिये उनकी लघु कहानियों के संकलन पर साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला. 1999 में बाल साहित्य में योगदान के लिए पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.