देहरादून:उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में कुल 21 फैसलों पर मुहर लगाई है. कैबिनेट की बैठक में वैसे तो कई महत्वपूर्ण फैसले हुए लेकिन प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के लिए बैठक में एक बड़ा और अच्छा फैसला लिया गया है. दरअसल, ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर तक रोपवे प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल मिल गया है.
हालांकि, राज्य सरकार की सूची में केदारनाथ, सुरकंडा देवी और कुमाऊं के मंदिरों सहित नीलकंठ भी पहले से ही शामिल था, लेकिन आज की कैबिनेट मीटिंग में इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी मिली गई है. अब जल्द ही ऋषिकेश से नीलकंठ जाने वाले शिव भक्तों को एक नई सौगात मिलने जा रही है.
उत्तराखंड में कई शिव मंदिर मौजूद हैं, जिसमें से नीलकंठ एक महत्वपूर्ण मंदिर है. नील पर्वत पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान समुद्र में से विष निकला तो पूरे ब्रह्मांड में इस बात की चर्चा होने लगी कि अगर यह विष सही स्थान पर नहीं पहुंचा तो प्रलय आ जाएगी. इसके बाद भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण किया था.
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इसके बाद भगवान शिव इस विष के प्रकोप से बेहद परेशान हो गए थे और स्वयं को शांत करने के लिए महादेव नील पर्वत आए थे. यहीं पर भगवान शिव ने उस दौरान समय बिताया था. ऋषिकेश से लगभग 1 घंटे की पहाड़ की चढ़ाई चढ़कर शिवभक्त इस मंदिर तक पहुंचते हैं. सावन के महीने में कांवड़िए लाखों की तादाद में रोजाना यहां पहुंचते हैं.
ऐसे में राज्य सरकार को यही लगता है कि जितने भी मंदिर पर्वतों पर स्थित हैं, वहां पर भक्तों की सुविधा के अनुसार सड़क मार्ग के साथ-साथ रोपवे में भी बनवाया जाए. यही कारण है कि केदारनाथ हो या सुरकंडा देवी या फिर अन्य दूसरे पर्वतों पर स्थापित धामों में राज्य सरकार इस तरह की व्यवस्था करने जा रही है.
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प्रस्तावित प्रोजेक्ट नीलकंठ धाम में बनने जा रहे रोपवे की दूरी लगभग 36 किलोमीटर की होगी, जबकि रोपवे से उतरने के बाद भी भक्तों को कुछ दूरी तक पैदल सफर करना पड़ेगा. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के लिए 455 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. रोपवे के जरिए ऋषिकेश से नीलकंठ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को मात्र 20 से 22 मिनट का समय लगेगा. इस सफर के दौरान भक्त नीचे बहती मां गंगा के दर्शन के साथ खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.
गौर हो कि, नियोजन विभाग से पहले ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई थी और अब कैबिनेट बैठक में भी इसको हरी झंडी दे दी गई है. चारधाम यात्रा के लिहाज से भी ऋषिकेश शहर बेहद महत्वपूर्ण है, लिहाजा राज्य और केंद्र सरकार ऋषिकेश और हरिद्वार में कई ऐसी परियोजनाएं शुरू करने जा रही है ताकि आने वाले समय में लाखों श्रद्धालुओं को इसका फायदा मिल सके.
मौजूदा समय में लंबे जाम और सुविधा के नाम पर खानापूर्ति राज्य सरकार की खूब किरकिरी करवाती है, ऐसे में पर्यटन विभाग और अन्य विभाग अब यह चाहते हैं कि हरिद्वार और ऋषिकेश को श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक और बनाया जाए.