मसूरी:पहाड़ों की रानी मसूरी का इतिहास काफी समृद्ध है, जिसकी तस्दीक खुद लोग करते दिखाई देते हैं. यहां हम मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज की बात कर रहे हैं. उन्होंने 1975 में अपने चार दोस्तों के साथ मसूरी से दिल्ली तक का करीब 320 किलोमीटर का सफर रोलर स्केटिंग से 5 दिनों के अंदर तय किया था. गोपाल भारद्वाज इस दिन को हमेशा कुछ खास लोगों को डेडिकेट करते हैं. इस बार उन्होंने मशहूर गायिका लता मंगेशकर को ये दिन समर्पित किया है.
लता मंगेशकर की याद में: मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने कहा कि लता मंगेशकर पूरी दुनिया में अनमोल गायिका थीं. उनकी भरपाई कोई भी नहीं कर सकता है और न ही इस दुनिया में उनका कोई मुकाबला कर सकता है. आज भी उनके गाए हुए गीत लोगों को बहुत पसंद हैं. उनके गीत मन को सुकून देते हैं. उन्होंने कहा कि बेशक लता मंगेशकर इस दुनिया से चली गई हों लेकिन उनके गीत उनके स्वर हमेशा-हमेशा के लिए अमर हैं.
बता दें कि, गोपाल भारद्वाज कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गए थे. वह 10 दिनों तक मैक्स अस्पताल में जिंदगी मौत से जूझते रहे. लेकिन उनके हौसले और दृढ़ इच्छा शक्ति से उन्होंने कोरोना को मात दी और एक बार फिर स्केटिंग करते हुए नजर आए.
जब पहली बार दिल्ली पहुंचे गोपाल भारद्वाज: गोपाल भारद्वाज ने बताया कि 1975 में वह अपने चार दोस्तों के साथ मसूरी से लोहे से बनी हुई रोलर स्केट्स के माध्यम से करीब 320 किलोमीटर दूर दिल्ली गए थे. वह पांचवें दिन दिल्ली पहुंचे थे. वह उनका पहला दिन था जब रोलर स्केट से उनके द्वारा भारत की राजधानी में पहली बार प्रवेश किया गया. उन्होंने बताया कि दिल्ली में प्रवेश होने पर उनका दिल्ली पुलिस और रोलर स्केटिंग फेडरेशन के लोगों ने भव्य स्वागत किया था. वहीं कोका कोला कंपनी द्वारा ₹50 का प्रत्येक प्रतिभागी को इनाम भी दिया गया था. इसके बाद उनका दूरदर्शन में इंटरव्यू भी हुआ था, जो उनके लिए काफी यादगार रहा. उन्होंने कहा कि उस समय पर दूरदर्शन हुआ करता था. ऐसे में दूरदर्शन में इंटरव्यू होना एक बहुत बड़ी बात थी.
मसूरी से दिल्ली गए पांच स्केटर्स: गोपाल भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान में अत्यंत आधुनिक स्केट्स उपलब्ध हैं. लेकिन बीती 70 की सदी में ऐसी सुविधा नहीं थी. तब खिलाड़ी लोहे के पहिए वाले स्केट्स का इस्तेमाल करते थे. 1975 में मसूरी के पांच युवा स्केटर्स ने मसूरी से दिल्ली तक की 320 किमी की दूरी रोलर स्केटिंग करते हुए तय करने की ठानी थी. फिगर स्केटिंग में तीन बार के नेशनल चौंपियन रहे मसूरी के अशोक पाल सिंह के दिशा-निर्देशन में मसूरी के संगारा सिंह, आनंद मिश्रा, गुरुदर्शन सिंह जायसवाल, गुरुचरण सिंह होरा और गोपाल भारद्वाज 14 फरवरी 1975 को मसूरी से दिल्ली की रोलर स्केटिंग यात्रा पर निकले. उनकी यह यात्रा देहरादून, रुड़की, मुजफ्फरनगर और मेरठ होते हुए 18 फरवरी 1975 को राजधानी दिल्ली पहुंचकर संपन्न हुई थी. तब यूरोपीय देशों में ही इस प्रकार के इवेंट हुआ करते थे. एशिया में सड़क से इतनी लंबी दूरी की स्केटिंग की यह पहली यात्रा थी.