देहरादून: साल 1917 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान राजधानी के हनुमान चौक स्थित बाजार में गुप्ता परिवार प्राकृतिक सेंधा नमक का व्यापार करता आ रहा है. वहीं, व्यापार से जुड़ा देहरादून का ये गुप्ता परिवार आज भी इस काम को भारत-पाक नमक वाले रिश्ते के साथ जोड़कर कारोबार कर रहे हैं. 102 साल पहले जब नमक का कारोबार शुरू हुआ था. तब भारत और पाकिस्तान देश का बंटवारा नहीं हुआ था, लेकिन मुल्क का बंटवारा होने के बावजूद भी पाकिस्तान की खानों से प्राकृतिक सेंधा नमक हिंदुस्तान आता रहता है.
उधर, नमक के इस कारोबार को पूर्वजों की याद के रूप में चलाने वाले गुप्ता परिवार के वर्तमान में बड़े-बड़े व्यापार चल रहे हैं. लेकिन, इसके बावजूद वो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान शुरू किए गए सेंधा नमक और पुराने आयुर्वेदिक सामान के व्यापार को जनसेवा के रूप में चलाते आ रहे हैं.
कारोबार से जुड़े तीसरी पीड़ी के रविंद्र गुप्ता ने बताया कि उनके दादा गणपत राय साल 1917 में हरियाणा के करनाल से देहरादून पहुंचे. उन्होंने हनुमान चौक के सबसे पुराने बाजार में आकर पाकिस्तान से आने वाले सेंधा नमक का व्यापार शुरू किया. उसके बाद उनके पिता राजेंद्र प्रकाश 80 साल की उम्र तक सेंधा नमक जैसे पुरानी खाद्य सामग्रियों की व्यापार से जुड़े रहे. आज पिता के दुनिया से जाने के बाद रविंद्र गुप्ता सेंधा नमक जैसे ठोस खाद्य वस्तुओं को सिर्फ अपने पूर्वजों के व्यापारिक रिश्तो को संजोए रखने के लिए प्रतिदिन कुछ समय के लिए चलाते हैं.
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