देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम (Uttarakhand Transport Corporation) पर लगातार वित्तीय घाटा बढ़ता जा रहा है. वहीं, कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद से ही परिवहन निगम अपने बुरे वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में परिवहन निगम ने खर्चों में कटौती करनी शुरू कर दी है. इसके तहत 5 जुलाई को हुई बोर्ड की बैठक में अप्रैल महीने से कर्मचारियों का वेतन आधा करने व सहकारी ऋण समितियों की कटौती उनके वेतन से न करने व समिति को उपलब्ध न कराने का निर्णय लिया गया था, जिसका कर्मचारियों ने विरोध किया है.
अपना विरोध जताने के लिए अब परिवहन निगम के कर्मचारियों ने 16 जुलाई को कार्य बहिष्कार करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही कर्मचारियों ने आगामी आंदोलन की भी रूपरेखा तैयार कर ली है. 16 जुलाई को संपूर्ण कार्य बहिष्कार करने के बाद परिवहन निगम के कर्मचारी 20 जुलाई को दोपहर 12 बजे प्रांतीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक कर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लेंगे.
वहीं, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि परिवहन निगम के कर्मचारी पहले से ही वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं. क्योंकि, कर्मचारियों को पिछले 4 महीने का वेतन नहीं मिल पाया है. हालांकि, इसके लिए नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह मंत्री परिषद की बैठक बुलाकर उसमें कर्मचारियों के वेतन की समस्या का समाधान किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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अशोक चौधरी ने कहा कि निगम प्रबंधन से कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान न करके निदेशक मंडल ने कर्मचारियों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है. इससे परिवहन निगम के सभी कर्मचारियों में काफी रोष है. बुधवार को यूनियन की प्रांतीय कार्यसमिति के पदाधिकारियों की वर्चुअल बैठक आयोजित की गई. बैठक में आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही अपनी 6 सूत्री मांगों को भी निगम प्रबंधन को भेज दिया है.
निगम कर्मचारियों ने प्रबंधन को 05 जुलाई को हुई परिवहन निगम की बैठक में कार्यसूची मद संख्या (5) पृष्ठ संख्या 4 में लिए गए निर्णय, जिसमें परिवहन निगम के कर्मचारियों को आधा वेतन दिलाया जाने का का निर्णय हुआ है. इसको निरस्त करने की पहली मांग की है. परिवहन निगम निदेशक मंडल की बैठक में पृष्ठ संख्या (16) में अतिरिक्त चर्चा में क्रम संख्या (6) में लिए गए निर्णय जिसमें कर्मचारियों के वेतन से कटौती न कर ऋण समितियों को भुगतान न करने के निर्णय को निरस्त करने की दूसरी मांग की है.
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निगम कर्मचारियों के लंबित वेतन एवं अन्य देयकों का भुगतान करने की तीसरी मांग की है. परिवहन निगम में कार्यरत समस्त विशेष श्रेणी एवं संविदा कर्मियों को माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के निर्देशानुसार नियमित कर्मियों की भांति समान काम समान वेतन तथा अन्य सुविधाएं प्रदान की जाए तथा रिक्त पदों पर संविदा / विशेष श्रेणी के कर्मियों का वरिष्ठता के आधार पर नियमितीकरण किया जाए कर्मचारियों की चौथी मांग है. कर्मचारी यूनियन द्वारा प्रेषित सुझाव / मांगपत्र दिनांक 03 जुलाई में उल्लेखित बिन्दुओं पर सकारात्मक निर्णय करके निगम /कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान किया जाए उनकी पांचवीं मांग है.
मुख्यालय स्तर से एसीपी के संबंध में लिए गए निर्णय में अनुशासनिक प्रकरणों में दण्डित हुए कर्मचारियों के भविष्य प्रभाव सहित दण्ड एवं बिना भविष्य प्रभाव सहित दण्ड स्वरूप की जा रही वेतन कटौती तथा इसी प्रकार उन पदोन्नतियों के संबंध में जिनमें कर्मचारी का वेतनवेंड या ग्रेड-पे उच्चीकृत नहीं होता है, के संबंध में की जा रही वेतन कटौती के निर्णय को निरस्त किए जाने की उनकी छठी मांग है.
बता दें कि परिवहन निगम में करीब 7000 कर्मचारी हैं. हर माह कर्मचारियों को वेतन देने के लिए निगम को करीब 20 करोड़ रुपयों की जरूरत होती है. फिलहाल फरवरी महीने का वेतन देने के बाद कर्मचारियों का 4 माह का वेतन देना अभी बाकी है, जिसके लिए परिवहन निगम को करीब 80 करोड़ रुपयों की आवश्यकता है. इन सबके अतिरिक्त अभी भी परिवहन निगम के ऊपर काफी देनदारी लंबित है.