ऋषिकेशः विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही बंद करने की फरमान के बाद स्थानीय लोगों और व्यापारियों में भारी आक्रोश है. इसी कड़ी में देर रात स्वर्ग आश्रम और तपोवन के कई व्यापारियों ने लक्ष्मण झूला पुल के पास बैठकर धरना-प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. साथ ही पुल पर आवाजाही बंद ना करने की मांग की.
लक्ष्मण झूला पुल बंद करने की सूचना के बाद प्रदर्शन करते स्थानीय व्यापारी. गौर हो कि 90 साल पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था. आज उस पर खतरा मंडराने लगा है. लोक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया. जिसमें निकलकर सामने आया है कि पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है. लोक निर्माण विभाग ने अपनी इस सर्वे रिपोर्ट को शासन के सामने रखा है.
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जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद कांवड़ यात्रा को लेकर प्रशासन उहापोह की स्थिति में है. दरअसल, कांवड़ यात्रा में इस बार 50 से 60 लाख कांवड़ियों के आने की संभावना है. ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश जारी होने के बाद अधिकारियों की बैठकों का दौर शुरू हो गया है.
11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मणझूला पुल 90 साल पुराना है. इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी. जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था. इसे देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. लक्षमण झूला 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है. जहां से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. पहले यह जूट का बना एक पुल था जिसे 1939 में लोहे के झूलते हुए पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था.