देहरादून: 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राजनीति में उठापटक का दौर देखा जा रहा है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी हाईकमान ने न सिर्फ पंजाब के प्रभारी पद से हटा दिया है बल्कि, राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी मुक्त कर दिया है. हरीश रावत अभी भी सीडब्ल्यूसी के मेंबर हैं. कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले के बाद से ही चर्चाएं जोरों पर चल रही हैं कि आखिर हरदा के कद को आलाकमान ने क्यों घटाया है. वहीं, चर्चाएं इस बात की भी हैं कि आलाकमान ने उन्हें उत्तराखंड में पूर्ण रूप से फोकस करने के लिए सभी पदों से मुक्त कर दिया है. जिसकी हरीश रावत लंबे समय से मांग कर रहे थे. ऐसे में हरदा के कद घटने से क्या भविष्य में उन्हें इसका क्या लाभ मिलेगा? सभी पदों से मुक्त होना क्या उनके मुख्यमंत्री पद के लिए दरवाजे खोल रहा है? इन सबके राजनीतिक समीकरण क्या हैं आइये जानते हैं.
हरदा का कद घटाये जाने की चर्चाएं जोरों पर: दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लंबे समय से पंजाब प्रभारी का पद छोड़ना चाह रहे थे. इसके लिए वह कई बार कांग्रेस आलाकमान से बात भी कर चुके थे. इसके पीछे हरीश रावत तर्क दे रहे थे कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वह सिर्फ उत्तराखंड पर फोकस करना चाहते हैं. जिसके चलते उन्हें पंजाब प्रभारी पद से मुक्त कर दिया जाए. जिसके बाद आलाकमान ने उन्हें न सिर्फ पंजाब के दायित्व से मुक्त किया है, बल्कि राष्ट्रीय महासचिव पद से भी हटा दिया है. ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में उनके कद घटाए जाने की चर्चाएं जोरों शोरों से चल रही हैं. हालांकि, इसका फायदा हरदा को भविष्य में मिलेगा या नहीं या तो भविष्य के गर्भ में है.
हरदा को हटाये जाने की कई वजहें: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पंजाब प्रभारी पद और राष्ट्रीय महासचिव के दायित्व से मुक्त करने की कई वजह बताई जा रही हैं. जिसमें मुख्य रुप से पंजाब की राजनीति को लेकर हरदा के दिये गये बयान हैं जो उन पर भारी पड़े. उनके बयानों से कभी कैप्टन गुट नाराज हुआ तो कभी सिद्धू गुट. जिससे कारण पंजाब में असमंजस की स्थिति बनी रही. जिसके बाद आलाकमान ने हरदा को ना सिर्फ पंजाब के प्रभारी पद से बल्कि राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी हटा दिया. वहीं, दूसरी वजह बताई जा रही है कि हरीश रावत को पंजाब प्रभारी पद से इसलिए मुक्त किया गया है ताकि वह उत्तराखंड में पूर्ण रुप से ध्यान दे सकें.
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उत्तराखंड में कांग्रेस की राह आसान करेंगे हरीश रावत: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पंजाब प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव के पद से मुक्त होने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस आलाकमान ने राष्ट्रीय स्तर के नेता हरीश रावत का कद घटा दिया है. वहीं, इसके दूसरे पहलू की बात करें, तो आलाकमान उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी की बात कह रहा है. जिसके कारण ही हरीश रावत को सभी दायित्वों से मुक्त किया गया है. जिससे वे पूरी तरह से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर फोकस कर सकें. यही नहीं, पदों से मुक्त होने के बाद हरीश रावत का मुख्यमंत्री बनने का भी रास्ता साफ हो गया है. अगर कांग्रेस उत्तराखंड में सत्ता हासिल करती है तो मुख्यमंत्री के दावेदारों में हरदा का नाम सबसे ऊपर होगा.
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