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हरीश रावत ने दी कुर्बानी या कुछ और है कहानी !, जानें हरदा के घटे कद का नफा-नुकसान

अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने अपने पंजाब इंचार्ज पद से हरीश रावत को हटा दिया था. इसके साथ ही हरीश रावत को राष्ट्रीय महासचिव के पद की जिम्मेदारी से भी मुक्त कर दिया गया है. कांग्रेस में हरदा के घटे कद को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. बीजेपी जहां इसे हरदा के पर कतरने से जोड़ रही हैं वहीं, कांग्रेस इसे आने वाले विधानसभा चुनाव और उत्तराखंड में हरीश रावत के फोकस से जोड़ रही है.

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हरदा के घटे कद का मिलेगा फायदा या होगा नुकसान

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Published : Oct 23, 2021, 8:39 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 9:58 PM IST

देहरादून: 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राजनीति में उठापटक का दौर देखा जा रहा है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी हाईकमान ने न सिर्फ पंजाब के प्रभारी पद से हटा दिया है बल्कि, राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी मुक्त कर दिया है. हरीश रावत अभी भी सीडब्ल्यूसी के मेंबर हैं. कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले के बाद से ही चर्चाएं जोरों पर चल रही हैं कि आखिर हरदा के कद को आलाकमान ने क्यों घटाया है. वहीं, चर्चाएं इस बात की भी हैं कि आलाकमान ने उन्हें उत्तराखंड में पूर्ण रूप से फोकस करने के लिए सभी पदों से मुक्त कर दिया है. जिसकी हरीश रावत लंबे समय से मांग कर रहे थे. ऐसे में हरदा के कद घटने से क्या भविष्य में उन्हें इसका क्या लाभ मिलेगा? सभी पदों से मुक्त होना क्या उनके मुख्यमंत्री पद के लिए दरवाजे खोल रहा है? इन सबके राजनीतिक समीकरण क्या हैं आइये जानते हैं.

हरदा का कद घटाये जाने की चर्चाएं जोरों पर: दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लंबे समय से पंजाब प्रभारी का पद छोड़ना चाह रहे थे. इसके लिए वह कई बार कांग्रेस आलाकमान से बात भी कर चुके थे. इसके पीछे हरीश रावत तर्क दे रहे थे कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वह सिर्फ उत्तराखंड पर फोकस करना चाहते हैं. जिसके चलते उन्हें पंजाब प्रभारी पद से मुक्त कर दिया जाए. जिसके बाद आलाकमान ने उन्हें न सिर्फ पंजाब के दायित्व से मुक्त किया है, बल्कि राष्ट्रीय महासचिव पद से भी हटा दिया है. ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में उनके कद घटाए जाने की चर्चाएं जोरों शोरों से चल रही हैं. हालांकि, इसका फायदा हरदा को भविष्य में मिलेगा या नहीं या तो भविष्य के गर्भ में है.

हरदा के घटे कद का मिलेगा फायदा या होगा नुकसान

हरदा को हटाये जाने की कई वजहें: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पंजाब प्रभारी पद और राष्ट्रीय महासचिव के दायित्व से मुक्त करने की कई वजह बताई जा रही हैं. जिसमें मुख्य रुप से पंजाब की राजनीति को लेकर हरदा के दिये गये बयान हैं जो उन पर भारी पड़े. उनके बयानों से कभी कैप्टन गुट नाराज हुआ तो कभी सिद्धू गुट. जिससे कारण पंजाब में असमंजस की स्थिति बनी रही. जिसके बाद आलाकमान ने हरदा को ना सिर्फ पंजाब के प्रभारी पद से बल्कि राष्ट्रीय महासचिव के पद से भी हटा दिया. वहीं, दूसरी वजह बताई जा रही है कि हरीश रावत को पंजाब प्रभारी पद से इसलिए मुक्त किया गया है ताकि वह उत्तराखंड में पूर्ण रुप से ध्यान दे सकें.

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उत्तराखंड में कांग्रेस की राह आसान करेंगे हरीश रावत: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पंजाब प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव के पद से मुक्त होने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस आलाकमान ने राष्ट्रीय स्तर के नेता हरीश रावत का कद घटा दिया है. वहीं, इसके दूसरे पहलू की बात करें, तो आलाकमान उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी की बात कह रहा है. जिसके कारण ही हरीश रावत को सभी दायित्वों से मुक्त किया गया है. जिससे वे पूरी तरह से उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर फोकस कर सकें. यही नहीं, पदों से मुक्त होने के बाद हरीश रावत का मुख्यमंत्री बनने का भी रास्ता साफ हो गया है. अगर कांग्रेस उत्तराखंड में सत्ता हासिल करती है तो मुख्यमंत्री के दावेदारों में हरदा का नाम सबसे ऊपर होगा.

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वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र शेट्टी का मानना है कि पंजाब प्रभारी के दायित्व के साथ हरदा काफी ओवरलोडेड महसूस कर रहे थे. जिसके चलते हरीश रावत पहले भी आलाकमान से इस बाबत अपनी बात रख चुके थे. कांग्रेस आलाकमान ने उनकी सुनी और उन्हें इस पदभार से मुक्त किया. यही, नहीं उनकी मुख्य चाह यह भी रही है मुख्यमंत्री के रूप में उत्तराखंड में वह अपनी सेवाएं दें. जिसमें वह सफल हुए हैं. नरेंद्र शेट्टी कहते हैं हरदा के मुख्यमंत्री बनने की राह इतना आसान नहीं है, क्योंकि उनकी पार्टी में ही तमाम ऐसे नेता हैं जो उनकी टांग खींचने में लगे हुए हैं.

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उत्तराखंड में पूरी ऊर्जा से काम करेंगे हरीश रावत: इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी बताते हैं कि हरीश रावत उत्तराखंड में होने वाले चुनाव पर फोकस करना चाहते हैं. पंजाब प्रभारी के दायित्व से मुक्त होने की बात उन्होंने खुद कही थी. अब जब पंजाब की स्थितियां सामान्य हो गई हैं, तो आलाकमान ने हरीश रावत को पंजाब प्रभारी के दायित्व से मुक्त कर दिया. वर्तमान समय में उत्तराखंड में हरीश रावत की आवश्यकता है. ऐसे में आगामी चुनाव को देखते हुए हरीश रावत का उत्तराखंड में पूरी तरह से होना कांग्रेस के लिए बहुत जरूरी है. जिसके कारण हरीश रावत को सभी पदों से मुक्त किया गया है. जिससे वो पूरी ऊर्जा से उत्तराखंड में काम कर सकें.

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कांग्रेस ने कतरे हरीश रावत के पर: वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स इस पर चुटकी ले रहे हैं. उन्होंने कहा संशय का विषय यह है कि हरीश रावत को पंजाब प्रभारी के पद से मुक्त किया गया है, या पंजाब को हरदा से मुक्त किया गया है. ऐसे में लगता है कि कांग्रेस ने हरीश रावत को पूरी तरह से मुक्त कर दिया है. शादाब ने हरीश रावत पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने हरीश रावत का चेहरा घोषित नहीं किया है. ऐसे में यही लग रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत के पर कतर दिए हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस में अभी फिलहाल तमाम कशमकश बरकरार है.

हरीश रावत ने सीएम पद के लिए खुद ही खड़ी की है दीवार: उत्तराखंड में अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो हरीश रावत शायद मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे. दरअसल हरीश रावत खुद ही इच्छा जता चुके हैं कि वो पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी किसी दलित को मुख्यमंत्री बने देखना चाहते हैं. अब जब यशपाल आर्य कांग्रेस में लौट आए हैं तो मुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस के पास उनसे बड़ा दलित चेहरा और कौन होगा. ऐसे में हरीश रावत के सामने भी मजबूरी होगी कि यशपाल रावत को ही मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ाकर अपनी खुद की इच्छा का वो सम्मान करें.

Last Updated : Oct 23, 2021, 9:58 PM IST

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