देहरादून:19 साल बाद भी उत्तराखंड क्षेत्रवाद और जातिवाद के दंश से बाहर नहीं निकल पाया है. उत्तराखंड हर तरह से दो भागों में बंटा हुआ नजर आता है. चाहे भौगोलिक परिस्थियां हों या फिर राजनीति समीकरण. प्रदेश में जातिवाद और क्षेत्रवाद इस कदर हावी है कि इसका असर वर्तमान राजनीति में भी देखने को मिल रहा है. इसी पर ईटीवी भारत की एक स्पेशल रिपोर्ट...
उत्तराखंड में जब भी लोकसभा या विधानसभा के चुनाव आते हैं सबसे पहले जातिगत समीकरण पर ध्यान दिया जाता है. क्षेत्र के आधार पर ब्राह्मण और राजपूतों के आंकडे़ निकाल जाते हैं, उसके बाद क्षेत्रवाद और जातिवाद का समीकरण बनाया जाता है. क्योंकि जब राजनीति में जाति और क्षेत्रवाद दोनों हावी होते हैं तो कुछ अलग निकलकर आना मुश्किल होता है.
राजनीतिक समीकरणों पर एक नजर
पहला विधानसभा चुनाव:
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2002 में विधानसभा चुनाव कराए गए थे और कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी. हालांकि उस दौरान मात्र एक अपवाद ही हुआ कि कुमाऊं रीजन के नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. वहीं राज्य गठन के बाद से कांग्रेस सरकार के सत्ता पर काबिज रहने यानि साल 2007 तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हरीश रावत काबिज रहे. पहली बार उत्तराखंड राज्य में पूर्ण रूप से सरकार बनने के बाद क्षेत्रवाद विहीन यानि योग्यता के आधार पर प्रदेश के मुखिया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए थे.
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दूसरा विधानसभा चुनाव:
प्रदेश में दूसरी बार 2007 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में बीजेपी के अंदर क्षेत्र और जातिवाद हावी नजर आया. इस साल बीजेपी सत्ता में आई. बीजेपी ने गढ़वाल रीजन के भुवन चंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया था. वहीं बीजेपी ने सगंठन की कमान बच्ची सिंह रावत को सौंपी. बच्ची रावत की बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसके बाद बीजेपी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री खंडूरी को हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया. वहीं प्रदेश संगठन की कमान कुमाऊं रीजन के विशन सिंह चुफाल को सौंपी गई. इसके साथ ही साल 2011 में एक बार फिर निशंक को हटाकर गढ़वाल रीजन के खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. लिहाजा क्षेत्रवाद का समीकरण सटीक होने के चलते विशन सिंह चुफाल प्रदेश अध्यक्ष बन रहे.
तीसरा विधानसभा चुनाव:
उत्तराखंड में तीसरी बार 2012 में विधानसभा चुनाव हुए. इस बार कांग्रेस ने वापसी की. कांग्रेस में भी क्षेत्र और जातिवाद का समीकरण देखने को मिला. इस बार कांग्रेस ने गढ़वाल रीजन के विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया. वहीं कुमाऊं रीजन से यशपाल आर्य को प्रदेश संगठन की कमान दी गई. आर्य को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया. हालांकि 2 साल बाद 2014 में तात्कालिक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की जगह कुमाऊं क्षेत्र के हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं क्षेत्र की समीकरणों को सही रखने के लिए कांग्रेस ने यशपाल आर्य को हटाकर गढ़वाल क्षेत्र से किशोर उपाध्याय को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी.