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अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना: राजधानी में 40 फीसदी के ही बने गोल्डन कार्ड

अटल आयुष्मान योजना को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं. देखा जाए तो ये योजना पहाड़ी जिलों में सफल नहीं दिखाई दे रही है.

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना.

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Published : Nov 14, 2019, 8:30 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 11:02 AM IST

देहरादून: प्रदेश में लोगों के स्वास्थ्य की गारंटी लेने वाली अटल आयुष्मान योजना धराशाई हो गई है. हालात ये हैं कि पहाड़ी जनपदों में योजना के लिए गोल्डन कार्ड बनवाने में विभाग के पसीने छूट गए हैं. हालांकि, इसमें भी एक प्रतिशत गोल्डन कार्डधारी ही योजना का लाभ ले पा रहे हैं.

राजधानी में 40 फीसदी के ही बने गोल्डन कार्ड.

हर व्यक्ति को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने 25 दिसंबर 2018 को अटल आयुष्मान योजना शुरू की थी. जिससे सरकार ने खूब वाहवाही बटोरी. वहीं, इस योजना को लेकर आम लोगों में भी काफी उत्सुकता दिखाई दी थी, लेकिन योजना के एक साल के आंकड़ों ने सबके सामने ऐसी हकीकत रखी कि इन्हें देखकर हर कोई हैरान रह जाएगा. राज्य के पहाड़ी जिले अटल आयुष्मान को लेकर बेहद निराशाजनक स्थिति में हैं.

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बता दें कि, देहरादून में अटल आयुष्मान योजना सबसे बेहतर स्थिति में है. इसके बावजूद राजधानी में करीब 40% ही लोग गोल्डन कार्ड धारक हैं. गोल्डन कार्ड को लेकर उत्तरकाशी की स्थिति भी बेहतर है, यहां भी करीब 40.67% लोगों ने गोल्डन कार्ड बनवाए हैं.

राज्य में सबसे खराब स्थिति गोल्डन कार्ड को लेकर हरिद्वार, चंपावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर की है. हरिद्वार में सबसे कम 26.68% लोगों ने ही गोल्डन कार्ड बनवाए हैं. जबकि अल्मोड़ा में 28.03% लोगों ने गोल्डन कार्ड बनवाएं. इसी तरह चंपावत में 28.04% और बागेश्वर में 28.94% लोगों ने ही गोल्डन कार्ड बनवाए हैं.

इन आंकड़ों से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में अटल आयुष्मान को लेकर लोग कितने जागरुक हैं और विभाग लोगों को योजना की जानकारी देने में कितना सफल हो पाया है. हालांकि, इसके बावजूद योजना से जुड़े अधिकारी इसको लेकर प्रयासरत होने की बात कह रहे हैं और इसका फायदा लोगों को मिलने का दावा भी कर रहे हैं.

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जानकारी के मुताबिक, गोल्डन कार्ड बनवाने को लेकर अब विभागीय अधिकारी जल्द इसके लिए अभियान चलाने की बात कह रहे हैं. उधर अधिकारियों के दावों के बीच गोल्डन कार्ड धारकों में भी लाभ लेने वाले लोगों की संख्या 1% तक ही सीमित हो गई. आंकड़े बताते हैं कि पहाड़ी जिले चंपावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा में करीब 1% लोग ही इस योजना का फायदा ले पाए. जबकि देहरादून में सबसे ज्यादा लाभार्थी होने के बावजूद यहां लाभ लेने वाले लोगों का प्रतिशत करीब 4% ही हैं. चंपावत में गोल्डन कार्ड धारकों में से करीब 1.01% लोगों ने योजना का लाभ लिया. बागेश्वर में भी प्रतिशत 1.16 ही रहा. जबकि, अल्मोड़ा में लाभार्थियों का प्रतिशत 1.21% रहा.

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जिलाजनसंंख्याकितनों के बने कार्ड
अल्मोड़ा 6,23,000 1,75,000
बागेश्वर 2,06,000 75,000
चमोली 3,42,000 1,38,000
चंपावत 6,00,000 73,000
देहरादून 16,97,000 6,96,000
हरिद्वार 18,90,000 50,4000
नैनीताल 9,55,000 3,25,000
पौड़ी गढ़वाल 6,87,000 2,33,000
पिथौरागढ़ 4,38,000 1,47,000
रुद्रप्रयाग 2,42,000 81,000
टिहरी 61,9000 24,7000
उधम सिंह नगर 16,50,000 4,96,000
उत्तरकाशी 3,30,000 1,34,000


अल्मोड़ा में 2,109 लाभार्थी, बागेश्वर 874, चमोली 3,207 चंपावत 739, देहरादून 29,027, हरिद्वार 16353, नैनीताल 9129, पौड़ी गढ़वाल 5,999, पिथौरागढ़ 2,597, रुद्रप्रयाग 1,648, टिहरी गढ़वाल 6346, उधम सिंह नगर 12,194, उत्तरकाशी 3,016 लोगों को योजना का लाभ मिला है. जोकि, कुल गोल्डन कार्ड के लिहाज से जिला स्तर पर अधिकतम 4 प्रतिशत है जबकि पहाड़ी जिलों में खासतौर पर अल्मोड़ा चंपावत जैसे जिलों में महज एक प्रतिशत हैं.

Last Updated : Nov 15, 2019, 11:02 AM IST

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