उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Doon Medical College की ये है असल तस्वीर, CM के निरीक्षण के बाद ETV Bharat का रियलिटी चेक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले हफ्ते दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंचे तो यहां सब रामराज्य सा दिखाई दिया. कुछ एक छिटपुट समस्याओं के सिवाय सीएम साहब को सब बेहतर दिखाया गया, लेकिन हकीकत में अस्पताल को लेकर मरीज और तीमारदारों का कैसा अनुभव होता है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने यहां रियलिटी चेक किया, जिसमें सीएम धामी के दोवों के उलट कई मरीज परेशान दिखे...

reality check
रियलिटी चेक

By

Published : Sep 22, 2022, 12:36 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 5:24 PM IST

देहरादून:दून मेडिकल कॉलेज उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिहाज से रीढ़ माना जाता है. खास तौर पर मिडिल क्लास और गरीब परिवारों के लिए सरकार यहां हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है. राजधानी देहरादून में होने के चलते इस मेडिकल कॉलेज के अस्पताल का महत्व बेहद ज्यादा है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने खुद इस अस्पताल में पहुंचकर न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली थी बल्कि यहां मिलने वाले कैंटीन के खाने को भी चखकर व्यवस्थाओं को जाना था. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने कुछ छोटी मोटी समस्याओं पर दिशा-निर्देश दिए, लेकिन निरीक्षण के बाद का लब्बोलुआब सब बेहतर होना ही था.

खुद मुख्यमंत्री मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में पहुंचकर निरीक्षण कर चुके थे. लिहाजा, ईटीवी भारत ने भी अस्पताल में निरीक्षण के बाद की व्यवस्थाओं को रियलिटी चेक के जरिए जानने की कोशिश की. अस्पताल में दाखिल होते ही सबसे पहले जिस हॉल में दवाईयों और बिल काउंटर्स बनाये गए हैं, यहां काफी ज्यादा भीड़ दिखाई दी. यह देखकर साफ लगा कि दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों का बेहद ज्यादा दबाव रहता है.

ETV Bharat का रियलिटी चेक.

अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं के बारे में मरीज या यहां आने वाले तीमारदारों से बेहतर कोई नहीं बता सकता था. ऐसे में सबसे पहले ईटीवी भारत ने इन्हीं से बात की. चिकित्सक को दिखाने और दवाइयां लेने के बाद लौट रहे प्रकाश यादव से हमने बात की, तो उन्होंने कहा कि अस्पताल बड़ा है लेकिन जिन सुविधाओं की बात कही जाती है, वह सुविधाएं यहां नहीं हैं. भारी भीड़ वाले हॉल में पंखों तक की व्यवस्था नहीं की गई है. AC हैं लेकिन ये भी काम नहीं कर रहे. इतना ही नहीं दो दवाइयां खाने के लिए डॉक्टर ने कहा है इसमें से भी एक दवाई अस्पताल के बाहर निजी दवा खाने (Medical Store) से लाने के लिए सलाह दी गई है.

अल्ट्रासाउंड बाहर से कराने के लिए कहा:अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचे नसीम का कहना है कि उनकी पत्नी गर्भवती है, लेकिन अस्पताल में जिम्मेदार स्वास्थ्य कर्मी कहते हैं कि उनकी पत्नी को बाहर से ही अल्ट्रासाउंड करवाना होगा. अब वह परेशान हैं कि निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के पैसे कहां से लाएं. उनका कहना है कि अगर पैसे ही होते तो पूरा इलाज निजी अस्पताल से ही करवा लेते.
पढ़ें- सीएम धामी ने किया दून मेडिकल कॉलेज का औचक निरीक्षण, कैंटीन में भोजन भी चखा

7 हजार के टेस्ट बाहर कराएं:अजमल की भी यही परेशानी है. उनके गुर्दों में दिक्कत है और इसके लिए ऑपरेशन होना है. वह कहते हैं कि निजी संस्थानों से ही 7 हजार के टेस्ट का हिसाब किताब बनाया हुआ है. दवाई अलग से लगेगी अब इतना पैसा बाहर खर्च कहां से करेंगे.

डॉक्टर मरीजों को लिख रहे बाहर की दवाइयां:उत्तराखंड में सरकारी सिस्टम में स्वास्थ्य सुविधा को लेकर दून मेडिकल कॉलेज सबसे बेहतर अस्पताल में शुमार किया जाता है. यहां हर दिन सैकड़ों मरीज तीमारदारों के साथ पहुंचते हैं और स्वास्थ्य लाभ भी लेते हैं. इस बात में कोई शक नहीं कि यह अस्पताल काफी हद तक गरीब मरीजों के लिए बड़ा मददगार है. जाहिर है कि मेडिकल कॉलेज में सरकार करोड़ों का बजट इसी मकसद से खर्च भी करती है, लेकिन ये सिक्के का एक पहलू है. इसका दूसरा पहलू यह है कि सरकार और सरकारी सिस्टम मेडिकल कॉलेज को लेकर जिस तरह के दावे करता है, वह हकीकत में हवा हवाई हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि अस्पताल में पहुंचने वाले वह मरीज और उनके तीमारदार बोल रहे हैं, जिन्होंने अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर करीब से अनुभव किया है.

डॉक्टर मिले नदारद:मेडिकल कॉलेज में दिक्कत केवल वयस्क मरीजों के लिए ही नहीं है, बल्कि छोटे बच्चों के इलाज में भी परेशानी दिखाई दे रही है. अस्पताल में बाल रोग का अलग वार्ड बनाया हुआ है. यहां तीन से चार डॉक्टरों के कैबिन बनाए गए हैं, लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो दो चिकित्सक यहां मौजूद ही नहीं थे. बड़ी बात यह है कि कोई भी यहां पर ऐसा जिम्मेदार व्यक्ति नहीं था, जो यह बता सके कि चिकित्सक साहब क्यों नहीं है और कब आएंगे? कुछ पूछताछ के बाद पता चला कि महिला चिकित्सक एक दिन पहले तक छुट्टी पर थी, लेकिन आज अब तक क्यों नहीं पहुंचे इसका कोई जवाब नहीं था? अस्पताल में अपने बच्चे का इलाज करने पहुंचे एक शख्स ने कहा कि चिकित्सक को तो उन्होंने दिखा दिया है, लेकिन दवाइयां बाहर की है.
पढे़ं-टीबी और डेंगू को लेकर स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की अधिकारियों के साथ बैठक, दिए ये निर्देश

अस्पताल में सीएमएस ही मौजूद नहीं:अस्पताल में ऐसा क्यों हो रहा है कि तमाम दावों के बावजूद चिकित्सक बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं? इतना ही नहीं महंगे और कुछ सामान्य टेस्ट भी अस्पताल में नहीं किए जा रहे हैं और ओपीडी के समय चिकित्सक अपनी कुर्सी पर क्यों मौजूद नहीं है ? इन सब बातों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम अस्पताल के सीएमएस के कार्यालय पहुंची मजे की बात यह थी कि सीएमएस साहब भी अपने कक्ष में नहीं थे. दरवाजे पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से उनकी लोकेशन जाननी चाही तो उन्हें भी नहीं पता था कि सीएमएस डॉ यूसुफ रिजवी (CMS Dr Yusuf Rizvi) साहब कहां है. हमें लगा कि शायद पुरानी बिल्डिंग में सीएमएस गए हो लेकिन वहां भी वो नहीं मिले.

बहरहाल हो सकता है कि वो किसी बेहद जरूरी काम के चलते अस्पताल में मौजूद न हो लेकिन उनके स्टाफ को ये जानकारी तो होनी ही चाहिए थी. वैसे इसके बावजूद हमारे उस सवाल का जवाब अधूरा ही रह गया जो मरीजों और तीमारदारों द्वारा बताए गए थे.

Last Updated : Sep 22, 2022, 5:24 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details