देहरादून: उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार के पांच साल का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है. इस बीच आज भाजपा सरकार के कुछ उन दावों की जमीनी हकीकत जानना बेहद जरूरी है, जो उन्होंने सत्ता में आते ही किये थे. प्रचंड बहुमत और सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने रिस्पना नदी के कायाकल्प करने का वाद किया था. तब तत्तकालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे लेकर बड़े-बड़े दावे किये थे, इन्ही सवालों को लेकर आज ईटीवी भारत ने रिस्पना नदी की ओर रुख किया. जिसमें हमने वादों को परखने के साथ ही जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की.
क्या है मिशन रिस्पना से ऋषिपर्णा:मिशन रिस्पना की योजना राज्य सरकार के निर्देश पर 2017 में बनाई गई थी. इस मिशन को रिस्पना से ऋषिपर्णा नाम दिया गया था. योजना थी कि देहरादून जिले में रिस्पना के करीब 20 किमी लंबे बहाव क्षेत्र में मृत रिस्पना नदी को पुनर्जीवित किया जाएगा. मई 2018 में इस मिशन को जोर-शोर से शुरू किया गया. नदी के दोनों ओर वृक्षारोपण किया गया. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मीडिया के सामने दावा किया था कि अगले एक साल में सरकार रिस्पना को इतना साफ कर देगी कि यहां डुबकी लगाकर नहाया जा सकेगा.
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क्या बोले थे पूर्व मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत:तब बतौर मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र रावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि सरकार ने प्रदेश की सभी जीवनदायिनी नदियों को लेकर एक मुहिम शुरू की है. इसमें देहरादून की रिस्पना-बिंदाल सहित कुमाऊं में पड़ने वाली कोसी नदी को इस योजना के तहत शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री ने रिस्पना नदी के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी खुलकर बात की थी. जिसमें उन्होंने बताया कि सरकार ने रिस्पना नदी के जीर्णोद्धार के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है. जिसमें आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट पर सरकार योजना तैयार की. जिसके लिए सरकार ने बजट भी निर्धारित किया. तब बताया गया कि रिस्पना में एक बार फिर से भरपूर पानी लाने के लिए सौंग बांध को एक विकल्प के रूप में देखा गया है.
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एक दिन में लगाए गये 2 लाख पौधे:20 मई 2018 में रिस्पना के किनारे एक ही दिन में 2 लाख पौधे रोपने का दावा किया गया. इसके लिए वन विभाग और ईको टास्क फोर्स को नोडल एजेंसी बनाया गया था. वृक्षारोपण के लिए कई दिन पहले से गड्ढे खोदे गए. लगभग सभी विभागों के साथ ही स्कूली बच्चों को भी वृक्षारोपण के लिए बुलाया गया. वृक्षारोपण नदी के कैचमेंट एरिया से लेकर मोथरावाला तक किया गया था, लेकिन आज करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी इसका कोई खास रिजल्ट देखने को नहीं मिल पा रहा है.
जिला प्रशासन ने दोबारा फिर से सभी विभागों से रिस्पना पुनर्जीवन के लिए कार्य योजना बनाने के लिए कहा, मगर पिछली कार्ययोजना का क्या हुआ इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. रिस्पना के आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि इसमें संदेह नहीं कि सरकार और प्रशासन ने रिस्पना पुनर्जीवन के लिए प्रयास किये, लेकिन सवाल ये है कि नतीजे क्या निकले?