देहरादून:अप्रैल माह से चारधाम यात्रा का आगाज होने वाला है. जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. पूरा प्रशासनिक अमला चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुटा है. वहीं इस यात्रा सीजन में यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री के लिए रोजाना 5500 यात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है तो वहीं बदरीनाथ धाम के लिए 18 हजार निर्धारित की गई है. जिस पर तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि पर्यटन विभाग का यह फैसला समझ से परे है. तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया है कि धामों में यात्रियों को संख्या निर्धारित करने का यह फैसला बिना परंपराओं को जाने और ग्राउंड रियलिटी को नजरअंदाज करते हुए हवा में लिया गया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. बीते वर्ष भी पर्यटन विभाग ने यात्रियों की संख्या को तय किया था.
पर्यटन विभाग ने यात्रियों की संख्या की फिक्स:उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा इस यात्रा सीजन के लिए उत्तराखंड में चारों धामों के लिए हर दिन के लिए यात्रियों की सीमित संख्या का निर्धारण कर दिया गया है. पर्यटन विभाग ने बदरीनाथ धाम के लिए प्रतिदिन 18 हजार, केदारनाथ धाम के लिए 15 हजार प्रतिदिन, गंगोत्री धाम के लिए 9 हजार यात्री प्रतिदिन और गंगोत्री धाम के लिए साढ़े 5 हजार यात्री प्रतिदिन निर्धारित किया है. धामों की भव्यता और व्यवस्था के हिसाब से भले ही यह फैसला सही लगे, लेकिन परंपराओं की बात की जाए तो चारधाम यात्रा का अपना एक धार्मिक महत्व है. चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सनातन धर्म में इन चारों धामों की अपना-अपना महत्ता है और इनके दर्शन करने की विधि भी.
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क्या कह रहे तीर्थ पुरोहित:गंगोत्री धाम में पुरोहित सुरेश सेमवाल का कहना है कि हिंदू धर्म में उत्तराखंड के इन चारों धामों के दर्शन की एक विधि है. उसके अनुसार हरिद्वार की हरकी पैड़ी से यात्रा की शुरुआत होती है और सबसे पहले यमुनोत्री धाम की यात्रा का प्रावधान है. इसके बाद गंगोत्री और फिर केदारनाथ और आखिर में मोक्ष के लिए बदरीनाथ धाम की यात्रा हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार की जाती है. वहीं पर्यटन विभाग द्वारा इन चारों धामों के यात्रियों की संख्या निर्धारण का फैसला समझ से परे है.