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Uttarakhand Chardham Yatra: चारधाम यात्रा में दर्शन के लिए लिमिट पर खिंची तलवारें, तीर्थ पुरोहितों ने खोला मोर्चा - Chardham pilgrimage priest

हर साल चारधाम यात्रा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन इस बार पर्यटन विभाग ने चारों धामों के लिए श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित कर दिया है, जो तीर्थ पुरोहितों के पल्ले नहीं पड़ रहा है. तीर्थ पुरोहित इस मामले में धार्मिक महत्व गिनाते दिखे और पर्यटन विभाग की मनमानी की बात करते दिखाई दिए.

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Published : Feb 28, 2023, 3:00 PM IST

पर्यटन विभाग पर मनमानी का आरोप

देहरादून:अप्रैल माह से चारधाम यात्रा का आगाज होने वाला है. जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. पूरा प्रशासनिक अमला चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुटा है. वहीं इस यात्रा सीजन में यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री के लिए रोजाना 5500 यात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है तो वहीं बदरीनाथ धाम के लिए 18 हजार निर्धारित की गई है. जिस पर तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि पर्यटन विभाग का यह फैसला समझ से परे है. तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया है कि धामों में यात्रियों को संख्या निर्धारित करने का यह फैसला बिना परंपराओं को जाने और ग्राउंड रियलिटी को नजरअंदाज करते हुए हवा में लिया गया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. बीते वर्ष भी पर्यटन विभाग ने यात्रियों की संख्या को तय किया था.

पर्यटन विभाग ने यात्रियों की संख्या की फिक्स:उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा इस यात्रा सीजन के लिए उत्तराखंड में चारों धामों के लिए हर दिन के लिए यात्रियों की सीमित संख्या का निर्धारण कर दिया गया है. पर्यटन विभाग ने बदरीनाथ धाम के लिए प्रतिदिन 18 हजार, केदारनाथ धाम के लिए 15 हजार प्रतिदिन, गंगोत्री धाम के लिए 9 हजार यात्री प्रतिदिन और गंगोत्री धाम के लिए साढ़े 5 हजार यात्री प्रतिदिन निर्धारित किया है. धामों की भव्यता और व्यवस्था के हिसाब से भले ही यह फैसला सही लगे, लेकिन परंपराओं की बात की जाए तो चारधाम यात्रा का अपना एक धार्मिक महत्व है. चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सनातन धर्म में इन चारों धामों की अपना-अपना महत्ता है और इनके दर्शन करने की विधि भी.
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क्या कह रहे तीर्थ पुरोहित:गंगोत्री धाम में पुरोहित सुरेश सेमवाल का कहना है कि हिंदू धर्म में उत्तराखंड के इन चारों धामों के दर्शन की एक विधि है. उसके अनुसार हरिद्वार की हरकी पैड़ी से यात्रा की शुरुआत होती है और सबसे पहले यमुनोत्री धाम की यात्रा का प्रावधान है. इसके बाद गंगोत्री और फिर केदारनाथ और आखिर में मोक्ष के लिए बदरीनाथ धाम की यात्रा हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार की जाती है. वहीं पर्यटन विभाग द्वारा इन चारों धामों के यात्रियों की संख्या निर्धारण का फैसला समझ से परे है.

तीर्थ पुरोहितों ने सवाल उठाया है कि जब पहले ही धाम में यात्रियों की संख्या कम कर दी जाएगी, तो बाद में धामों में कैसे यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी. पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने ये फैसले हवा में अपनी मनमर्जी से लिये हैं. सुरेश सेमवाल का कहना है कि उत्तरकाशी शहर में 25 से 30 हजार लोगों की क्षमता है. लिहाजा गंगोत्री धाम में 10 हजार से ज्यादा यात्री रह सकते हैं.
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अधिकारियों ने एसी रूम में बैठक कर लिया फैसला:चारधाम महापंचायत के पदाधिकारी बृजेश सती का कहना है कि पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने ये फैसला देहरादून सचिवालय में एसी में बैठ कर लिया है. ग्राउंड रियलिटी को नहीं जाना है और ना ही स्थानीय लोगों से बात की है. बृजेश सती ने कहा कि पर्यटन विभाग भक्त और भगवान के बीच में खड़े होकर अपनी सुविधा के अनुसार चारों धामों में पक्षपात कर चार धामों में भी कुछ धामों को ग्लैमराइज करने का प्रयास कर रहा है. साथ ही विभाग भक्त और भगवान के बीच में खड़े होने का प्रयास कर रहा है.

बृजेश सती का कहना है कि ये श्रद्धा का विषय है और हिंदू धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण चार धामों का विषय है. उन्होंने कहा कि इन्ही सब विषयों को लेकर पूरी चारधाम महापंचायत द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से बातचीत की गई और मांग की गई कि धरातलीय विषय वस्तुओं को देख कर फैसला लिया जाए. क्योंकि यह पूरे चारधाम क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी का भी विषय है.

बता दें कि विगत वर्ष 2022 में केदारनाथ धाम में 12 हजार जबकि बदरीनाथ में 15 हजार और गंगोत्री में सात हजार साथ ही यमुनोत्री धाम में एक दिन में चार हजार श्रद्धालुओं को दर्शन की सीमा तय की गई थी. वहीं ईटीवी भारत संवाददाता ने पर्यटन विभाग का जब पक्ष लेना चाहा तो पर्यटन सचिव ने इस पर कोई भी रिस्पांस नहीं दिया.

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