देहरादून: केंद्र सरकार द्वारा रैपिड एंटी बॉडी जांच रोके जाने के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी टेस्ट रोक दिया है. प्रदेश में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने हॉटस्पॉट के इलाकों में रैपिड टेस्ट करने का निर्णय लिया था. राजस्थान में एंटी बॉडी रैपिड जांच में गड़बड़ी को देखते हुए केंद्र सरकार और आईसीएमआर ने दो दिनों तक रैपिड टेस्ट रोकने का निर्णय लिया है.
उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों के हॉटस्पॉट इलाकों में रैपिड टेस्ट की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश को पांच हज़ार के रैपिड किट मिली थीं. देहरादून डीएम आशीष कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक आईसीएमआर ने दो दिनों तक रैपिड टेस्ट रोकने का फैसला लिया है. टेस्ट को लेकर केंद्र की जो भी गाइडलाइन आएगी, उसी के मुताबिक दोबारा टेस्ट शुरू किए जाएंगे.
उत्तराखंड में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट पर रोक ये भी पढ़ें:रमजान में घर पर करें इबादत, लॉकडाउन का किया उल्लंघन तो होगी सख्त कार्रवाई
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की दिक्कतें
रैपिड टेस्ट में जिनके नतीजे नेगेटिव दिख रहे हैं. उनके सामान्य टेस्ट में नतीजे पॉजीटिव आए हैं. इस बात की जानकारी सामने आने पर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को फिलहाल अगले दो दिन तक किट से टेस्ट करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.
क्या होता है रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट?
- जब व्यक्ति किसी वायरस से संक्रमित होता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है.
- रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है.
- खून में मौजूद एंटीबॉडीज से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं.
- अगर किसी व्यक्ति में खांसी, जुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं तो उसे पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति के खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. इसमें देखा जाता है कि संदिग्ध के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही हैं या नहीं.
- वायरस से होने वाला संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद भी ये एंटीबॉडी शरीर में कुछ समय तक मौजूद रहते हैं. इससे डॉक्टरों को यह पहचानने में मदद मिलती है कि मरीज पहले संक्रमित था या नहीं. इस जांच की नतीजा भी आधे घंटे में आ जाता है.
- अगर कोई व्यक्ति एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो उसका इलाज अस्पताल में होगा या फिर प्रोटोकॉल के तहत उसे आइसोलेशन में रखा जाएगा.
- इसके बाद उसके संपर्क में आए लोगों की तलाश की जाएगी. अगर टेस्ट नेगेटिव आता है तो व्यक्ति को होम-क्वारंटीन किया जाएगा या फिर पीसीआर टेस्ट किया जाएगा.
- जिस व्यक्ति का पहले टेस्ट न हुआ हो या वो खुद से ठीक हो गया हो, उसकी पहचान भी इस एंटीबॉडी टेस्ट से की जा सकती है. इससे ये पता चलेगा कि जनसंख्या का कितना बड़ा हिंसा संक्रमित है या था.
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के मुताबिक पूरा काम किया जाता है.
- इस टेस्ट को केवल हॉटस्पॉट व रेड जोन इलाकों में किया जाएगा.
- रैपिड टेस्ट की कीमत भी कम है और नतीजा भी जल्द मिलता है.