देहरादूनः ईटीवी भारत की खबर पर एक बार फिर मुहर लगी है. उत्तराखंड पुलिस विभाग में रैंकर परीक्षा प्रक्रिया अब खत्म कर दी गई है. शुक्रवार को धामी कैबिनेट ने इस विषय में पुलिस नियमावली में संशोधन कर इसका निर्णय लिया. ऐसे में अब भविष्य में कॉन्स्टेबल से हेड कॉन्स्टेबल और हेड कॉन्स्टेबल से सब-इंस्पेक्टर के प्रमोशन विभागीय पदोन्नति मानदंडों के आधार पर होंगे.
शुक्रवार को धामी कैबिनेट ने पुलिस नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. इसके साथ ही अब उत्तराखंड में कॉन्स्टेबल से हेड कॉन्स्टेबल और हेड कॉन्स्टेबल से सब-इंस्पेक्टर के प्रमोशन विभागीय पदोन्नति मानदंडों के आधार पर होंगे. यानी की रैंकर परीक्षा के बदले अब इस तरह के रिक्त पड़े 50% पद पदोन्नति के आधार पर दिए जाएंगे. जबकि शेष 50 फीसदी रिक्त पदों को सीधी भर्ती के अंतर्गत भरा जाएगा.
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इससे पहले 33 फीसदी हेड-कॉन्स्टेबल और दारोगा प्रमोशन के पद रैंकर परीक्षा, 33 प्रतिशत रिक्त पद वरिष्ठता के आधार और बाकी शेष 34 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती आयोजित कर भरा जाता था. लेकिन अब कैबिनेट द्वारा पुलिस नियमावली संशोधन कर इस नियम को बदल दिया गया है. ऐसे में अब 50 फीसदी पदोन्नति के आधार पर और 50 फीसदी सीधी भर्ती के अंतर्गत पुलिस के पद भरे जाएंगे.
बता दें कि ईटीवी भारत द्वारा पिछले दिनों मामले पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गई थी, जिसमें बताया गया था कि जल्द ही पुलिस नियमावली में संशोधन कर रैंकर्स परीक्षा प्रक्रिया समाप्त होगी. इस मामले में पुलिस मुख्यालय द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजकर इस बात की मांग की गई थी कि रैंकर्स परीक्षा खत्म कर सीधी भर्ती के आधार पर भविष्य में पद भरने की प्रक्रिया को लागू किया जाए.
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रैंकर परीक्षा खत्म होने से पुलिसकर्मियों में मायूसीःधामी कैबिनेट द्वारा पुलिस नियमावली में संशोधन कर रैंकर्स परीक्षा प्रक्रिया को समाप्त करने के निर्णय से अब उन पुलिस कर्मियों में खासी मायूसी है, जो पढ़ाई-लिखाई और काबिलियत के दम पर रैंकर परीक्षा जैसे कंपटीशन में भाग लेकर कॉन्स्टेबल से हेड कॉन्स्टेबल और हेड कॉन्स्टेबल से दारोगा बनने का सपना देख रहे थे.
ईटीवी भारत से बात करते हुए नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कुछ जवानों ने बताया कि नियमावली में इस तरह का संशोधन करने से उनमें खासी नाराजगी व मायूसी है. अब 50 फीसदी पदोन्नति के आधार पर होने वाले प्रमोशन से कितने पुलिस कर्मियों का भला होने वाला है. क्योंकि पहले ही रैंकर परीक्षा द्वारा मात्र 33 फीसदी रिक्त पदों को भरने से काफी संख्या में मेहनत करने वाले पुलिसकर्मी प्रमोशन की प्रक्रिया से छूट जाते थे. लेकिन अब एकमात्र आगे बढ़ने के विकल्प रैंकर परीक्षा प्रक्रिया समाप्त हो जाने से कंधे पर दो स्टार देखने का सपना बेकार हो गया है.