देहरादून: केंद्रीय शिक्षा मंत्री (Union Education Minister) के तौर पर पिछले 2 साल से जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'(Dr. Ramesh Pokhriyal 'Nishank') ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके पीछे उनके खराब स्वास्थ्य को वजह माना जा रहा है. इस्तीफे के बाद अब रमेश पोखरियाल 'निशंक' के कार्यकाल के दौरानउत्तराखंड (Uttarakhand) को क्या कुछ मिला इस पर चर्चा शुरू हो गई है.
उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था की खराब हालत को सुधारने को लेकर केंद्र की मदद की काफी ज्यादा जरूरत महसूस होती रही है. साल 2019 में जब केंद्र में मोदी सरकार के HRD (Human Resource Development) मंत्री के तौर पर डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने कमान संभाली तो उसके बाद उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था के सुधरने की काफी ज्यादा उम्मीदें लगाई गईं. इसी बीच HRD मिनिस्ट्री का नाम बदलकर 2020 में शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया था. ऐसे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहते हुए उत्तराखंड के लिए डॉक्टर निशंक का क्या योगदान रहा आइये आपको बताते हैं.
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उत्तराखंड में एनआईटी को लेकर चल रहे विवाद को डॉक्टर निशंक ने ही खत्म करवाया. उन्होंने न केवल अस्थायी कैंपस के लिए 80 करोड़ रुपए जारी कर श्रीनगर एनआईटी को ठीक करवाया. साथ ही एनआईटी के स्थाई कैंपस के लिए 900 करोड़ रुपए की भी स्वीकृति दी. इसके साथ ही हरिद्वार में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत कराना भी उनकी बड़ी उपलब्धि रही.
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अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने देहरादून में अटल एकेडमी खोली. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा जमीन दी गई. इस पर फिलहाल काम चल रहा है. इस एकेडमी से युवा डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कर सकेंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भी उत्तराखंड को भविष्य में बेहद लाभ होगा. पिछले 30 सालों से अधिक समय से यह नीति नहीं बन पाई थी, जिसे डॉक्टर निशंक ने 2 साल में इंप्लीमेंट करवाया.