विकासनगर: कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका को अपना नया घर बनाया था. कुछ वर्षों पहले द्वारका शहर के कुछ अवशेष नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओसियनोग्राफी को समुद्र से मिल थे. ऐसा ही एक बाढ़वाला गांव है, जिसको प्राचीन काल में जगत ग्राम कहा जाता था. यहां पर ऐतिहासिक पर्यटन स्थल अश्वमेध यज्ञ है, जो कि अभी पुरातत्व विभाग की देखरेख में है. इतिहास के जानकारों का कहना है कि यह क्षेत्र काफी समृद्धशाली था और यहां पर तीसरी शताब्दी की गरुड़ के आकार की तीन यज्ञ वेदिकाओं के अवशेष हैं. जिसे देखने के लिए इतिहास में रूचि रखने वाले छात्र आते हैं. साथ ही पर्यटकों का आवागमन भी लगा रहता है.
राजा शीलवर्मन ने जगत ग्राम में किया था अश्वमेध यज्ञ:इतिहासकार श्रीचंद शर्मा बताते हैं कि बाढ़वाला को प्राचीन काल में जगत ग्राम बोला गया है, जहां राजा शीलवर्मन ने अश्वमेध यज्ञ किया था. साथ ही महाभारत के सभापर्व में लिखा है कि जो राम के पूर्वज राजा अमरीश हुए थे, उन्होंने भी इस क्षेत्र में यज्ञ किए हैं. इसके अलावा कई और भी यज्ञ हुए हैं. वहीं, पाकिस्तान के मद्र देश शेर कोट और सियालकोट के राजा उशीनर ने भी इस क्षेत्र में बड़ा यज्ञ किया था, लेकिन इतिहासकार और पुरातत्व विभाग भी इसको खोज नहीं पाए कि वह स्थान हरिपुर का यमुना तट है या लाखामंडल का यमुनातट है.