देहरादून: इस बार त्योहारी सीजन को देखते हुए प्रदेश के चार बड़े जिलों में वीकेंड वॉकडाउन नहीं किया गया. त्योहारों को देखते हुए सरकार और प्रशासन ने ये छूट दी है. बावजूद इसके भी बाजारों में कुछ खास भीड़ देखने को नहीं मिल रही है. देहरादून के पलटन बाजार से देखिए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट...
अनलॉक के बाद भी फीकी है राखी की रौनक बाजार में नहीं भीड़त्योहारी सीजन के चलते सरकार पहले ही शनिवार और रविवार को बाजारों को खुले रखने के आदेश दे चुकी है. लेकिन इसके बावजूद भी बाजारों में कोई खास रौनक देखने को नजर नहीं आ रही है. हमेशा लोगों से खचाखच भरा रहने वाला देहरादून का मशहूर पलटन बाजार भी इस सीजन में खाली है नजर आय. इक्के दुक्के लोग ही बाजार में नजर आये. पलटन बाजार के व्यापारी मनोज ने बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी बाजार बंद जैसा ही है. उन्होंने कहा कि लोग बाजारों में आने से कतरा रहे हैं. उन्होंने सरकार के वीकेंड लॉकडाउन को हटाकर बाजार खोलने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा इससे व्यापारियों और दुकानदारों को थोड़ी राहत मिलेगी.
कोविड के बीच बंदिशों में रक्षा बंधन
पलटन बाजार में खरीदारी करने पहुंची कालिदास रोड निवासी मीनाक्षी रतूड़ी ने हमें बताया कि इस बार रक्षाबंधन को लेकर लोगों में बिल्कुल भी उत्साह नहीं है. उन्होंने कहा कोरना की वजह से आज इंसान ही इंसान से डर रहा है.उन्होंने कामना की है कि जल्द ही कोरोना का ये दौर गुजरे, जिससे लोग एक बार फिर से हर्ष और उमंग के साथ एक दूसरे से मिल सके.
20 फीसदी रह गयी सेल
कोविड-19 के चलते बाजारों और व्यापार पर भी गहरा असर पड़ा है. पलटन बाजार में राखी की दुकान लगाने वाले एसपी गुप्ता बताते हैं कि उनकी सेल केवल 20 फीसदी ही हो रही है. उन्होंने कहा हर बार इस समय बाजारों में रौनक होती थी, जो इस साल गुम सी हो गई है. जिसके कारण व्यापार पूरी तरह से प्रभावित हो गया है.
कोविड में पोस्ट सर्विस एक बेहतर विकल्प
बाजार में खरीदारी करने पहुंची ज्योति ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन में खरीदारी पर असर पड़ा है. उन्होंने कहा लोग घरों से निकलने में जर रहे हैं. जिसके कारण बाजारों में भीड़ नहीं दिखाई दे रही है. उन्होंने कहा कोरोना के कारण भाई-बहन का त्योहार दूरियों का त्योहार बनकर रह गया है. ज्योति का कहना है कि इस दौर में जब यहां वहां जाने की तमाम बंदिशें हैं ऐसे में राखियां भेजने में पोस्ट सर्विस सबसे अच्छा साधन हैं. जिससे वे अपने भाइयों को राखियां भेज रही हैं.