देहरादून:भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने उत्तराखंड और यूपी के किसानों से अपील की है कि 10 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को वोट न दें. राकेश टिकैत ने ये पोस्ट ट्विटर पर की है.
राकेश टिकैत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि मेरे किसान साथी, हम कभी मिले नहीं हैं, लेकिन मेरी इज्जत आपके हाथ में है. बहुत मुश्किल से मेरी ये चिट्ठी आपके हाथ में पहुंची है. इसे ध्यान से पढ़ना.
राकेश टिकैत ने लिखा कि आपको पता होगा कि देश के करोड़ों किसानों से अपनी फसल और आने वाली नसल को बचाने के लिए एक ऐतिहासिक आंदोलन लड़ा. दिल्ली के बॉर्डर पर बरसता, सर्दी और गर्मी सही. सरकारी लाठी और दरबारी लोगों की गालियां भी सुनी. इस संघर्ष में 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है. इस ऐतिहासिक आंदोलन ने सरकार को किसान विरोध कानून लेने पर मजबूर किया.
पढ़ें-शादी समारोह पार्टी में हरदा ने जमकर लगाए ठुमके, कहा- BJP महंगाई-बेरोजगारी पर करें बात
राकेश टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन के बारे में आप सबने सुना ही होगा. आपके परिवार और गांव का कोई न कोई व्यक्ति इस आंदोलन से जुड़ा भी होगा. उसी नेता में अपको ये चिट्ठी लिख रहा हूं. आपने लखीमपुर खीरी कांड के बारे में सुना और उसका वीडियो भी देखा होगा. कैसे बीजेपी के मंत्री अजय मिश्र का बेटा निहत्थे किसानों को गाड़ी से रौंद रहा है. इस हत्याकांड में चार किसान और एक पत्रकार शहीद हुआ था.
ऐसे में गुड्डा गर्दी खत्म करने का दावा करने वाली इस योगी सरकार ने क्या किया? हत्यारों के पकड़ने के बचाए उन्हें बचाया. सुप्रीम कोर्ट के फटकार लगाने के बाद मंत्री के बेटे को गिरफ्तार किया गया. सुप्रीम कोर्ट की जांच साफ कहती है कि ये एक पड़यत्र था, लेकिन असली पड़यत्रकारी मंत्री अभी भी घूम रहा है. क्योंकि, बीजेपी को चुनाव अजय मिश्र की जरूरत है. इनके लिए किसानों से ज्यादा बड़ा सवाल वोट है.
पहले बीजेपी ने कृषि कानूनों का विरोध वाले किसानों पर आंसू गैस चलाई, वाटर कैनन बरसाया, लाठी चार्ज किया है. इनसे भी बात नहीं बनी तो झूठे मुकदमों में फंसाया. आंदोलनकारियों को दलाल, देशद्रोही और आतंकवादी बताकर किसानों का अपमान किया.
राकेश टिकैत ने लिखा कि किसानों का अपमान करने वाली बीजेपी को सबक सिखाने के लिए आपकी मदद चाहिए. बीजेपी सरकार सच-झूठ की भाषा नहीं समझती है. ये अच्छे-बुरे में भेद नहीं समझते हैं. संवैधानिक और असंवैधानिक में अंतर नहीं करते हैं. बीजेपी एक ही भाषा समझती है वोट, सीट और सत्ता...
पढ़ें-कल से 3 दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर रहेंगे दिल्ली सीएम केजरीवाल, आप का घोषणा पत्र करेंगे जारी
सौ की एक बात इस किसान विरोधी बीजेपी सरकार के कान खोलने के लिए इसे चुनाव में सजा देने की जरूरत है. सजा कैसे देंगे ये मुझे बताने की जरूरत नहीं है. बीजेपी के जो नेता वोट मांगने आए उनसे सवाल जरूर पूछें कि एक किसान का किसान ही समझ सकता है.
बता दें कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड के किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर 2020 से 11 दिसंबर, 2021 तक आंदोलन किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद ही किसानों ने अपनी हड़ताल वापस ली थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने19 नवंबर को गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व की घोषणा की थी कि संसद के शीतकालीन सत्र में तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा. इसके बाद कानूनों को निरस्त कर दिया गया था.