देहरादून: मौसम के पूर्वानुमान को जानने के लिए लैंसडाउन में डॉप्लर रडार लगाने का रास्ता साफ हो गया है. दरअसल, हर साल आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए प्रदेश में तीन अलग-अलग स्थानों पर डॉप्लर रडार स्थापित किए जाने हैं.
ऐसे में पौड़ी जनपद के लैंसडाउन में स्थापित होने जा रहे डॉप्लर रडार को किसी दूसरे राज्य में स्थानांतरित किए जाने को लेकर उठ रहे सवालों पर राज्यसभा सांसद प्रमुख अनिल बलूनी ने विराम लगा दिया है. अनिल बलूनी ने यह साफ किया है कि अब लैंसडाउन में ही डॉप्लर रडार स्थापित किया जाएगा.
लैंसडाउन में ही लगेगा डॉप्लर रडार. राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने इस मामले में विज्ञान मंत्री और रक्षा मंत्री से बातचीत कर समाधान निकाल लिया है. उन्होंने कहा कि लैंसडाउन में डॉप्लर रडार की स्थापना जल्द हो जाएगी. अनिल बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड जैसे प्राकृतिक आपदा प्रभावित राज्य के लिए मौसम की सटीक जानकारी और डॉप्लर रडार की स्थापना बहुत जरूरी है. ऐसे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा संपदा मंत्रालय से रडार की स्थापना के लिए एनओसी जारी करने पर सहमति जताई है और इस संदर्भ में जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे, उत्तराखंड में लैंसडाउन के अलावा सुरकंडा और मुक्तेश्वर में भी डॉप्लर रडार की स्थापना की जा रही है.
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क्या है डॉप्लर रडार?
- डॉप्लर रडार को डॉप्लर वेदर रडार भी कहा जाता है. इसकी मदद से लगभग 100 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है.
- यह रडार डॉप्लर इफेक्ट का इस्तेमाल कर अतिसूक्ष्म तरंगों को भी जांच कर लेता है. ऐसे में जब अतिसूक्ष्म तरंगें किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तो यह रडार उसकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है.
- यह रडार हवा में मौजूद अतिसूक्ष्म पानी की बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का पता भी लगा लेता है.
- इसके साथ ही ये रडार बूंदों के आकार, दूरी और उसकी रफ्तार को हर मिनट अपडेट करता रहता है. जिससे ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में कितनी वर्षा या तूफान आने की संभावना है.