देहरादून: प्रदेश भाजपा के नेताओं की नजर राज्यसभा की खाली हो रही सीट पर है. खासतौर पर वो चेहरे जिन्हें पार्टी अबतक कहीं एडजस्ट नहीं कर पाई है. इनमें सबसे बड़ा नाम विजय बहुगुणा का है जो भाजपा में शामिल होने के बाद से ही पार्टी की दरियादिली का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि पार्टी के दूसरे नेता भी इस पद के लिए केंद्रीय नेतृत्व की परिक्रमा में जुट गए हैं. खास बात यह है कि इस सीट पर प्रदेश से बाहर के भाजपाइयों की भी नजर है. यानी भाजपा राष्ट्रीय समीकरणों के आधार पर पैराशूट कैंडिडेट भी ला सकती है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक पुष्कर धामी भी इस संभावना से इंकार नहीं कर रहे हैं.
उत्तराखंड की तीन सीटों में एक पर बीजेपी, दो पर कांग्रेस का कब्जा
मौजूदा वक्त में राज्य की 3 राज्यसभा सीटों में से दो पर कांग्रेस तो एक सीट पर भाजपा काबिज है. इसमें कांग्रेस से प्रदीप टम्टा और राज बब्बर तो भाजपा से अनिल बलूनी सांसद चुने गए हैं. दरअसल नवंबर में कांग्रेस नेता राज बब्बर का कार्यकाल पूरा हो रहा है. तत्कालीन राज्यसभा सांसद मनोरमा शर्मा डोबरियाल के निधन के बाद 14 मार्च 2015 को राज बब्बर को उत्तराखंड के कोटे से राज्यसभा भेजा गया था. राज बब्बर का कार्यकाल 25 नवंबर 2020 को पूरा हो रहा है. इसी तरह प्रदीप टम्टा का 2022 और अनिल बलूनी का कार्यकाल 2024 तक है. वैसे इस बार कांग्रेस के विधानसभा में महज 11 विधायक होने के चलते राज्यसभा की इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से कोई चुनौती नजर नहीं आती है. भाजपा द्वारा चुने जाने वाले कैंडिडेट को ही इस बार राज्यसभा जाने का मौका मिलेगा.
उत्तराखंड से पैराशूट प्रत्याशी राज्यसभा भेजती रही हैं पार्टियां
राज बब्बर एक पैराशूट कैंडिडेट के रूप में उत्तराखंड के कोटे से राज्यसभा पहुंचे थे. लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब राष्ट्रीय राजनीति के समीकरणों के लिहाज से प्रदेश से बाहर के व्यक्ति को राज्यसभा भेजा गया. इससे पहले कांग्रेस सतीश शर्मा और सत्यव्रत चतुर्वेदी को भी पैराशूट प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा भेज चुकी है. उधर भाजपा भी इस मामले में पीछे नहीं रही है. भाजपा ने संघप्रिय गौतम और स्व. सुषमा स्वराज को भी उत्तराखंड के कोटे से ही राज्यसभा भेजा था. परेशानी की बात यह है कि पैराशूट सांसद राज्यसभा जाने के बाद प्रदेश में दोबारा लौटकर नहीं आए हैं. राज्यसभा में नेताओं की यही आदत प्रदेशवासियों को पैराशूट प्रत्याशियों के विरोध की वजह बनी है. राज बब्बर के तो कई बार प्रदेश में गुमशुदगी के पोस्टर तक लोगों द्वारा लगाए गए हैं.