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CM की रेस में बलूनी आगे! काऊ बोले- अनिल बलूनी के लिए 10 बार सीट छोड़ने को तैयार

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Published : Mar 20, 2022, 10:33 PM IST

Updated : Mar 20, 2022, 10:51 PM IST

उत्तराखंड के नए सीएम पर मंथन तेज हो गया है. वहीं, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने अनिल बलूनी को लेकर बड़ा बयान दिया है. काऊ का कहना है कि वो अनिल बलूनी के लिए 10 बार सीट छोड़ने को तैयार हैं.

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उत्तराखंड के नए सीएम पर मंथन तेज

देहरादून: उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के रूप में अनिल बलूनी के नाम पर मुहर की अटकलों ने अब और जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. रायपुर विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर हाईकमान अनिल बलूनी को मुख्यमंत्री बनाता है तो वह 10 बार अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं.

बता दें कि अभी तक उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से मुख्यमंत्री के नाम का फैसला नहीं हो सका है. ऐसे में मुख्यमंत्री की दौड़ में पूर्व सीएम धामी, अनिल बलूनी, अजय भट्ट, सतपाल महाराज और धन सिंह रावत के नामों की चर्चा हो रही है.

वहीं, राजपुर विधानसभा से बीजेपी विधायक और कद्दावर नेता उमेश शर्मा काऊ का इस बीच एक बड़ा बयान समाने आया है. उन्होंने कहा है कि अगर आलाकमान अनिल बलूनी को मुख्यमंत्री घोषित करता है, तो वह एक बार नहीं बल्कि दस बार उनके लिए अपनी विधानसभा सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं.

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कौन हैं अनिल बलूनी:अनिल बलूनी उत्तराखंड से राज्यसभा और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हैं. उन्होंने उत्तराखंड की जमीन से ही सियासत सीखी है. बलूनी को शांत स्वभाव के नेताओं में गिना जाता है. वह हर शब्द को नाप-तौल कर बोलने वाले व्यक्ति हैं. इस वजह से सामने वाले को कभी पता नहीं चलता कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है. एक समय अनिल बलूनी पत्रकार हुआ करते थे और आज वह पीएम मोदी और अमित शाह के करीबियों में गिने जाते हैं. पार्टी में उनकी अच्छी पकड़ है. कहा जाता है कि अनिल उत्तराखंड के लोगों की नब्ज टटोलने में माहिर हैं.

कोटद्वार से लड़ा था पहला उपचुनाव:अनिल बलूनी का जन्म 2 सितंबर 1972 को उत्तराखंड में हुआ था. राज्य के नकोट गांव में जन्मे बलूनी युवावस्था से ही राजनीति में एक्टिव हैं. वे पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश महामंत्री रहे, फिर निशंक सरकार में वन्यजीव बोर्ड में उपाध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख बने.

अनिल 26 साल की उम्र में राजनीति में उतर आए थे और राज्य के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में कोटद्वार सीट चुनाव लड़ने की तैयारी की थी. लेकिन उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया था. इस बात से नाराज बलूनी ने कोर्ट पहुंच गए थे और फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2004 में कोटद्वार से उपचुनाव लड़ा. हालांकि, वह हार गए थे. इसके बाद भी उनकी राजनीति से कभी रुचि कम नहीं हुई और हमेशा सक्रिय रहे.

बने सुंदर सिंह भंडारी के OSD:जर्निलिज्म की पढ़ाई के दौरान भी अनिल बलूनी राजनीति में एक्टिव थे और दिल्ली संघ परिवार के दफ्तरों के आसपास घूमा करते थे. संघ के जाने-माने नेता सुंदर सिंह भंडारी से उनकी दोस्ती हुई. जब सुंदर सिंह भंडारी को बिहार का राज्यपाल बनाया गया, तो उन्होंने अनिल बलूनी को अपना ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) चुना. इसके बाद सुंदर जब गुजरात के राज्यपाल बने तो भी बलूनी को साथ ले गए. यह वह समय था, जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे.

नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भी माना भरोसेमंद:अनिल बलूनी ने नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती बढ़ाई और धीरे-धीरे उनके पसंदीदा लोगों के बीच जगह बना ली. अमित शाह के 2014 में अध्यक्ष बनने के बाद अनिल बलूनी को पार्टी प्रवक्ता और मीडिया प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया. वह अमित शाह के भी भरोसेमंद लोगों में शामिल हो गए.

रखते हैं पार्टी की हर खबर पर नजर:मौजूदा समय में अनिल बलूनी मीडिया संबंधित सभी कार्यों को देखते हैं और पार्टी के संबंध में हर खबर पर उनकी नजर रहती है. जरूरत पड़ने पर अनिल हस्तक्षेप भी करते हैं. इसके अलावा वह शाह और पीएम मोदी के मीडिया संबंधी कार्यक्रमों को मैनेज करते हैं. पार्टी की छवि पर अगर कोई बात आती है, तो अनिल बलूनी स्थिति संभालने के लिए पार्टी के प्रवक्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को काम पर लगाते हैं.

Last Updated : Mar 20, 2022, 10:51 PM IST

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