विकासनगर: पहाड़ों में अधिकतर घर लकड़ी के बने होते है, लेकिन वर्तमान समय में लकड़ी के मकानों का चलन कम होता जा रहा है और इस कला से जुड़े कारीगरों की कमी देखी जा रही है. वहीं, जौनसार का एक छात्र राहुल इन दिनों लकड़ी के मॉडल बनाने के साथ ही पहाड़ी की संस्कृति को बरकरार रखने की कवायद में जुटे हुए हैं.
जौनसार बावर क्षेत्र में लकड़ी के मकान परंपरा और संस्कृति की पहचान है. वहीं, इसकी नक्काशी भी अद्भुत होती है. जब ऐसे मकानों का निर्माण शुरू किया जाता था तो कई यह सालों में बनकर तैयार होते हैं, लेकिन आज के समय में लकड़ी का मकान बनवाना हर व्यक्ति के बस की बात नहीं रह गई है.
ऐसे में लोग कंक्रीट, ईंट से मकानों का निर्माण कर रहे हैं. पहाड़ों में आज भी लकड़ी के मकान 100 सालों से भी अधिक सालों से टिके हैं. जबकि कंक्रीट के मकानों की समय-समय पर मेंटनेंस करनी पड़ती है. वहीं, लकड़ी के मकान बनाने वाले कारीगर भी आजकल नहीं मिल पाते हैं. लेकिन कालसी ब्लॉक के माख्टी गांव के कक्षा 12वीं का छात्र राहुल अपनी पुश्तैनी काष्ठकला की कारीगिरी बखूबी निभा रहे हैं.