देहरादून: उत्तराखंड में जोशीमठ समेत ऐसे कई शहर हैं जिन पर धारण क्षमता से ज्यादा निर्माण किए जाने को लेकर अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं. पहाड़ों की रानी मसूरी में भी अक्सर इसी तरह के सवाल खड़े किए जाते रहे हैं.यही कारण है कि मसूरी की धारण क्षमता के अध्ययन पर भी काम किए जाने की जरूरत विशेषज्ञ मानते हैं.. इस बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकारी सिस्टम की मसूरी में निर्माण कार्यों को लेकर पोल खोल दी है. दरअसल, मसूरी में निर्माण को लेकर पाबंदी के बावजूद भी कई निर्माण किए जाने और इसके लिए नगर पालिका और एमडीडीए समेत वन विभाग की तरफ से भी हरी झंडी दिए जाने की बात सामने आई है.
उत्तराखंड के प्रसिद्ध हिल स्टेशन मसूरी में इन दिनों मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण और नगर पालिका मसूरी निर्माण की स्वीकृतियों से जुड़े दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है. इस दौरान नोटिफाईड और अन नोटिफाईड एस्टेट का सर्वे किया जा रहा है. हालांकि, अभी सर्वे का काम जारी है लेकिन मौजूदा स्थिति में जो बातें सामने आ रही है वह काफी हैरान करने वाली है. दरअसल, मसूरी में 1000 से ज्यादा आवासीय और व्यावसायिक निर्माण की स्वीकृतियों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि नगर पालिका मसूरी और एमडीडीए ने इन्हें स्वीकृतियां दी हैं. खास बात यह है कि मसूरी में 1980 के बाद नए निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी, जो क्षेत्र नोटिफाई हैं वहां पर किसी भी तरह का कोई निर्माण नहीं हो सकता है, जबकि अन नोटिफाई क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर तक आवासीय दो मंजिला मकान ही बनाए जा सकते हैं.