ऋषिकेशः अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari Murder Case) की तफ्तीश में जुटी एसआईटी जांच अब सवालों के घेरे में है. हत्याकांड के खुलासे के वक्त ही मौजूद सबूतों के आधार पर एसआईटी की जांच आगे बढ़ रही है. मामले में संदिग्ध सस्पेंड राजस्व उपनिरीक्षक यानी पटवारी वैभव प्रताप की भूमिका की जांच को लेकर एसआईटी गंभीर नहीं है. जबकि, जिला प्रशासन पटवारी की भूमिका की जांच कर रहा है. एसआईटी के हालिया बयानों पर गौर करें तो वो सिर्फ लक्ष्मणझूला थाने के एसएसआई के जुटाए तथ्यों के सहारे ही है.
पुराने सबूतों के भरोसे एसआईटी: दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंकिता हत्याकांड की जांच के लिए डीआईजी पी रेणुका देवी की अगुवाई में एसआईटी का गठन मामले के हर पहलू को उजागर करने के लिए किया था. बावजूद इसके एसआईटी अभी तक की जांच में हत्याकांड के पहले के ही उपलब्ध सबूतों के इतर कुछ नया खुलासा करती नजर नहीं आई है. दिलचस्प ये है कि वारदात में संदिग्ध पटवारी (राजस्व उपनिरीक्षक) वैभव प्रताप की जांच तो दूर एसआईटी उसका नाम तक सुनने को तैयार नहीं है. जबकि, खुद पौड़ी जिले के मुखिया यानी कलेक्टर विजय कुमार जोगदंडे पटवारी के छुट्टी पर होने के बावजूद न सिर्फ उसे सस्पेंड कर चुके हैं, बल्कि पटवारी वैभव के खिलाफ उन्होंने जांच तक बैठा दी है.
निलंबित पटवारी वैभव प्रताप से पूछताछ की जरूरत: सूत्रों की मानें तो हत्याकांड में सस्पेंड पटवारी वैभव प्रताप भी एक अहम किरदार है. पूछताछ में उससे कई नए खुलासे होने की संभावना है. बावजूद इसके एसआईटी ने जांच दायरा सिर्फ मुख्य आरोपी पुलकित आर्य और सौरभ भास्कर के साथ अंकित गुप्ता तक ही सीमित कर दिया है. वनंत्रा रिजॉर्ट पर चले बुलडोजर को लेकर भी एसआईटी में शामिल अफसर बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं. हर बार यही दावा किया जा रहा है कि पहले से ही तमाम साक्ष्य सुरक्षित हैं.
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रिजॉर्ट में वेश्यावृत्ति कराने के दबाव की जांच नहीं: बावजूद रिजॉर्ट पर बुलडोजर (Bulldozer Vanantra Resort) चलने के बाद भी घंटों एफएसएल टीम के साथ एसआईटी की तफ्तीश समझ से परे है. रिजॉर्ट में वेश्यावृत्ति कराने के लिए अंकिता पर दबाव के एंगल की भी जांच को लेकर भी खामोशी है. जबकि, पुलिस के शुरूआती खुलासे में इसका जिक्र है. आरोपियों की रिमांड के लिए अदालत में आवेदन नहीं करने की भी एसआईटी की दिलचस्पी नहीं है.
खानापूरी थी प्रेस कॉन्फ्रेंस: एएसपी शेखर सुयाल (ASP Shekhar Suyal) की बुधवार की प्रेसवार्ता में साक्ष्य उपलब्ध होने के साथ सोशल मीडिया में वायरल जानकारियों और वीडियो का खंडन भी सवालों में है. जाहिर है कि एसआईटी सिर्फ कुछ सबूतों के साथ तय वक्त में चार्जशीट अदालत में दाखिल करने को ही प्राथमिकता मान बैठी है. पहले से ही गिरफ्तार हत्याकांड के आरोपियों के अलावा ऐसा कोई नया खुलासा अभीतक नहीं हुआ है. जिससे साबित हो कि यह एसआईटी की बदौलत है. ऐसे में सवाल है कि लक्ष्मण झूला पुलिस की जांच और सबूत पर एसआईटी टिकी है तो फिर टीम का गठन ही क्यों किया गया?