देहरादूनः बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में धामी सरकार ने अगले 5 सालों में प्रदेश की आय को दोगुनी करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कंसल्टिंग एजेंसी हायर करने के फैसले को मंजूरी दी, लेकिन सरकार के इस फैसले पर अब विपक्ष जमकर सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि सरकार का यह फैसला बेहद हास्यास्पद है. कांग्रेस का आरोप है कि यह तो वही बात हो गई कि पैसा कमाना है तो पहले पैसा खर्च करो. जिसमें संसाधन, लोग और पैसा भी राज्य का रहेगा, बस केवल दिमाग चलाने के लिए किसी और को पैसे दिए जाएंगे.
मथुरा दत्त जोशी (Congress leader Mathura Dutt Joshi) का कहना है कि इससे स्पष्ट रूप से जाहिर होता है कि प्रदेश में या फिर कह सकते हैं कि बीजेपी में कोई इतना सामर्थ्यवान व्यक्ति नहीं है. इसके अलावा कोई उससे दृष्टिकोण का व्यक्ति तक नहीं है, जो प्रदेश के आय को बढ़ाने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकें. कांग्रेस ने यहां तक आरोप लगाया कि सरकार के पास पूरा प्रशासनिक तंत्र है. जिसमें शासन के कई बड़े आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन नेतृत्व की यह नाकामी है कि उनसे काम नहीं निकाल पा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी हायर करना यह सरकार की विफलता को प्रदर्शित करता है.
अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट ने रखी अपनी बातःवहीं, कांग्रेस के इन आरोपों की इतर अगर बात एक्सपर्टों की राय की जाए तो उत्तराखंड के जाने माने अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट (Uttarakhand Economist Rajendra Bisht) का कहना है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए सरकार को इस वक्त अपनी नीतियों में और अपनी कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इस उत्तराखंड की जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP of Uttarakhand) तीन लाख करोड़ की है. अगर हम इसे अगले 5 सालों में 6 लाख करोड़ की करना चाहते हैं तो उसके लिए हमें हर साल 10 से 12 फीसदी की दर से कंपाउंडिंग ग्रोथ करनी होगी.
उन्होंने कहा कि इस साल के बजट पर अगर हम नजर दौड़ाते हैं तो उत्तराखंड का इस वित्तीय वर्ष का बजट 65 हजार करोड़ का है. जिसमें से हमें 63 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होना है. इसमें आठ हजार करोड़ का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि इन हालतों को सुधारने के लिए सरकार को कई बड़े कदम उठाने होंगे. यदि सरकार किसी इकोनॉमिस्ट कन्सल्टिंग फर्म (Economist Consulting Firm) को हायर करने के बारे में सोच रही है तो यह एक बेहतर कदम हो सकता है, लेकिन इसमें एक विषय देखने योग्य है कि क्या हम उस तरह की इंटरनेशनल फर्म को हायर कर रहे हैं? जिनका वैश्विक स्तर पर असर है और कई देशों में इस तरह की फर्म काम भी कर रही है.