देहरादून: उत्तराखंड में सत्ताधारी भाजपा का विवादित जमीनों से नाता जुड़ता जा रहा है. अभी करोड़ों में खरीदी गई देहरादून की जमीन का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब कोटद्वार की जमीन भी विवादों में आ गई है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी देशभर की तरह उत्तराखंड में भी हाईटेक कार्यालय खोलने की कोशिशों में जुटी हुई है. हैरत की बात यह है कि सत्ताधारी दल जिस जमीन को खरीदता है, उस पर फर्जीवाड़े का विवाद हो जाता है. ताजा मामला कोटद्वार का है, जहां पर भारतीय जनता पार्टी का जिला स्तर कार्यालय बनाया जाना है.
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने जांच करवाने के दिए निर्देश:कार्यालय बनाने के लिए रूपरेखा भी तैयार कर दी गई है और मुख्यमंत्री धामी द्वारा इसके लिए काम भी शुरू किए जाने की चर्चा है, लेकिन इस बीच एक ऐसा विवाद शुरू हो गया. जिसके बाद पूरी योजना ही धराशाई होती हुई दिखाई दे रही है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी जिस जमीन पर अपना जिला स्तरीय कार्यालय खोलना चाहती है, वह जमीन कब्रिस्तान की होने का दावा किया जाने लगा है. मामले में एक के बाद एक कई शिकायतें आने के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी इस जमीन पर जांच करवाने की तैयारी कर ली है. इसके लिए वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बोर्ड के सीईओ को जांच करने के निर्देश भी दे दिए हैं.
सवालों के घेरे में सत्ताधारी दल भाजपा:उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स भाजपा से ही ताल्लुक रखते हैं और सरकार द्वारा इन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. इसके बावजूद उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि जमीन पर निष्पक्ष जांच होगी और जमीन वक्फ बोर्ड की निकलने पर खाली भी करवाई जाएगी. साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि इससे पहले देहरादून अंतर्गत आने वाले रायपुर क्षेत्र में भी भाजपा के प्रदेश स्तरीय मुख्यालय को स्थापित करने के लिए करोड़ों की जमीन खरीदी गई थी और बाद में यह जमीन चाय बागान की होने की बात सामने आई थी. जिस पर अभी कोर्ट में मामला चल रहा है.