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राज्यसभा सांसद राज बब्बर के कार्यकाल पर उठे सवाल, जनता बोली NO

साल 2015 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के समय राज बब्बर उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद बनाए गए. राज बब्बर के कार्याकाल को पांच साल का समय बीत चुका है, लेकिन एक बार भी उत्तराखंड की जनता ने राज बब्बर का चेहरा नहीं देखा और न ही उनकी तरफ से उत्तराखंड के लिए किए गए कोई काम नजर आए.

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Published : Aug 3, 2020, 9:39 PM IST

Updated : Aug 6, 2020, 5:45 PM IST

raj babbar
राज बब्बर

देहरादूनःउत्तराखंड कोटे से कांग्रेस के मौजूदा राज्यसभा सांसद राज बब्बर का कार्यकाल साल 2021 में पूरा होने जा रहा है. ऐसे में राज्यसभा की उत्तराखंड कोटे की इस सीट के खाली होने से पहले जहां एक ओर कयासबाजी शुरू हो गई है तो वहीं, दूसरी तरफ राज बब्बर के इस पूरे कार्यकाल के दौरान उत्तराखंड के लिए कुछ न करना और एक भी बार उत्तराखंड न आना चर्चाओं का भी विषय बना हुआ है. इतना ही नहीं जनता का भी यही मानना है कि ऐसे सांसद नहीं होने चाहिए. जिसका अपने क्षेत्र से कोई सरोकार न हो.

बता दें कि, साल 2015 में राजबब्बर उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद बनाए गए. राज बब्बर के कार्यकाल को पांच साल का समय बीत चुका है, लेकिन एक बार भी उत्तराखंड की जनता ने राज बब्बर का चेहरा नहीं देखा और न ही उनकी ओर से उत्तराखंड के लिए किए गए कोई काम नजर आए. हालांकि, राज बब्बर के कार्यकाल और कामों की चर्चा खास तौर पर कार्यकाल पूरा होने और इस कोरोना काल में कोई काम न किए जाने को लेकर चर्चाओं में आ गया है.

राज्यसभा सांसद राज बब्बर के कार्यकाल पर उठे.

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गौर हो कि उत्तराखंड के हिस्से में राज्यसभा की कुल तीन सीटें हैं. इनमें से फिलहाल दो कांग्रेस और एक बीजेपी के पास है. कांग्रेस से सिने अभिनेता राज बब्बर और प्रदीप टम्टा राज्यसभा के सांसद हैं, जबकि बीजेपी से पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी. दरअसल, 2015 में कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य मनोरमा डोबरियाल शर्मा के निधन के कारण खाली हुई सीट से राज बब्बर, राज्यसभा पहुंचे थे. मनोरमा डोबरियाल शर्मा नवंबर 2014 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुईं थीं.

इस दिग्गज नेता को मिलेगा मौका

राज्य में आगामी नवंबर में खाली होने जा रही राज्यसभा सीट को लेकर दो दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं. पहला पूर्व सीएम विजय बहुगुणा और दूसरा प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू का. बीजेपी ज्यादातर स्थानीय नेताओं को ही राज्यसभा भेजने के पक्षधर हैं. इस बार भी बीजेपी ने इसी रणनीति पर काम किया तो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का नंबर लग सकता है.

वहीं, बीजेपी सूत्रों की मानें तो वर्तमान में बीजेपी प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू भी प्रबल दावेदार हैं. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की गुड बुक वाले नेता को ही राज्यसभा भेजा जाएगा.

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राज्यसभा सांसद ऐसा हो प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से हो वाकिफ
देहरादून के निवासी केएस राणा ने बताया कि उत्तराखंड वासियों ने राज बब्बर का चेहरा आज तक नहीं देखा है. उन्हें इस बात का भी मलाल है कि सरकारें ऐसे लोगों को क्यों चुनती हैं? साथ ही बताया कि जो फंड राज्यसभा सांसद को दिया जाता है, उस फंड से एक रुपये भी राजसभा सांसद राज बब्बर में उत्तराखंड के विकास में नहीं लगाया हैं. ऐसे में उत्तराखंड की दोनों मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस को राज्यसभा उसी को चुनकर भेजना चाहिए. जो उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों से वाकिफ हो और यहां के विकास में अपनी भूमिका निभा सके.

वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि बीजेपी और कांग्रेस के सांसद में यही फर्क है. बीजेपी सांसद लगातार उत्तराखंड के तमाम मुद्दों को केंद्र में उठाते रहे हैं. साथ ही प्रदेश की हितों की चिंता करते हुए उसका समाधान भी निकालते हैं, लेकिन कांग्रेस ने उत्तराखंड राज्यसभा सीट से ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा नियुक्त किया है, जिसका उत्तराखंड से कोई लेना-देना नहीं है.

साथ ही राज्यसभा सांसद राज बब्बर पर तंज कसते हुए कहा कि उनका उत्तराखंड से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उत्तराखंड के लिए कुछ काम तो करना चाहिए था. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने राज बब्बर को राज्यसभा सांसद बनाकर उत्तराखंड के लोगों के साथ धोखा किया है.

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उधर, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि राज्यसभा में कलाकार लोग जाते हैं और राज बब्बर बहुत बड़े कलाकार हैं. ऐसे में वो अपनी व्यस्तता और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष होने के चलते उनका चेहरा उत्तराखंड में बहुत ज्यादा दिखाई नहीं दिया है. लेकिन उनकी सक्रियता उनके कामों से पता चल रहा है. क्योंकि उन्होंने उत्तराखंड राज्य के भीतर बहुत काम किए हैं. कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य में बीजेपी के ही पांचों लोकसभा सांसद हैं, लेकिन इस कोरोना काल के दौरान पांचों सांसद ही उत्तराखंड से गायब रहे. ऐसे में कांग्रेस का इल्जाम लगाना बहुत गलत है.

Last Updated : Aug 6, 2020, 5:45 PM IST

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