देहरादून:हरिद्वार कुंभ कोविड टेस्ट घोटाला मामले में दो अधिकारियों पर की गई कार्रवाई पर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने राज्य सरकार के इस कार्रवाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं. साथ ही संघ ने कोरोना जांच घोटाले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराने और जांच पूरी होने तक चिकित्सकों पर कार्रवाई न करने की मांग की है. इसके लिए संघ ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य महानिदेशक को ज्ञापन भेजा है.
संगठन के प्रांतीय महासचिव डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि सीडीओ हरिद्वार की जांच के आधार पर मेलाधिकारी डॉ. एएस सेंगर और अपर मेलाधिकारी डॉ एनके त्यागी को निलंबित कर दिया गया है. लेकिन जो भी निर्णय लिए या कार्य किए वह उच्चाधिकारियों के लिखित एवं मौखिक निर्देशों के बगैर नहीं किए गए होंगे. ऐसे में संघ इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग करता है. कोविड नियंत्रण की विषम परिस्थितियों में इन अधिकारियों की सेवाओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक जांच पूरी होने तक उनपर कार्रवाई ना की जाए.
डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनएस तोमर पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया गया था. फिर संयुक्त चिकित्सालय, नरेंद्र नगर में दो चिकित्सकों के पूरे कोविड-19 नियंत्रण में कार्य करने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिख दिया गया. अन्य मामलों में भी चिकित्सकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा रही रही है, जबकि कोविड नियंत्रण में सभी चिकित्सकों ने संक्रमण के खतरे के बावजूद, सीमित संसाधनों के साथ पूरे समर्पण से अनवरत अपनी सेवाएं दी हैं.
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उन्होंने भेजे गए ज्ञापन में कहा है कि सभी खामियों और जांच में ठीकरा हमेशा चिकित्सकों पर ही फोड़ा जाता रहा है. ऐसे में संघ इस एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हुए भविष्य में संबंधित चिकित्सकों की वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए प्रकरण में उनसे उच्चस्तर के अधिकारियों से ही जांच कराई जाए. अभी कोरोना की तीसरी लहर की संभावना बनी हुई है. इस तरह चिकित्सकों का मनोबल गिरेगा और तीसरी लहर के प्रभावी नियंत्रण में भी समस्याएं आएंगी.
बता दें, उत्तराखंड में महाकुंभ 2021 के दौरान कोविड-19 की फर्जी रैपिड एंटिजन टेस्टिंग मामले में शासन ने पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन मेला स्वास्थ्य अधिकारी अर्जुन सिंह सेंगर और तत्कालीन प्रभारी अधिकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग डॉ. एनके त्यागी को सस्पेंड कर दिया था. हालांकि, सरकार की इस कार्रवाई से विपक्ष संतुष्ट नहीं है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच की मांग की थी.