देहरादून में जीएमवीएम और केएमवीएन कर्मचारियों का प्रदर्शन देहरादून: गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम के सभी कर्मचारियों ने आज वन टाइम सेटलमेंट के तहत विनियमितीकरण किए जाने की मांग की है. जिसे लेकर कार्यालय में आज से संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. संयुक्त कर्मचारी महासंघ का कहना है कि पिछले 3 सालों से कई बार वार्ता हो चुकी है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा दोनों निगमों के कर्मचारियों की मांग को पूरी नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा ऐसे भी कई कर्मचारी हैं, जो रिटायरमेंट की कगार पर हैं. लेकिन उनको वन टाइम सेटलमेंट के तहत विनियमितीकरण नहीं किया गया.
संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो आने वाले चारधाम यात्रा में दोनों निगमों के कर्मचारी आंदोलनरत रहेंगे. जिसके कारण चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा में पड़ने वाले जीएमवीएन की होटलों में कर्मचारियों के ना होने से असर पड़ सकता है.
पढ़ें-Chardham Yatra 2023: कोरोना SOP का करना होगा पालन, 9 लाख से ज्यादा श्रद्धालु करा चुके रजिस्ट्रेशन
बता दें गढ़वाल मंडल विकास निगम के 490 और कुमाऊं मंडल विकास निगम के 573 कर्मचारी आज निगम मुख्यालय देहरादून और नैनीताल के परिसर में आंदोलन शुरू कर दिया. संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा दिसंबर 2021 में कुमाऊं मुक्त विश्वविद्यालय के 22 संविदा कर्मचारियों को विनियमितीकरण नियमावली 2013 के तहत विनियमित किया गया.
इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10% का आरक्षण दिए जाने के लिए प्रस्ताव स्वीकृत किया, जबकि आरक्षण दिए जाने पर साल 2019 से हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई थी. दोनों मामलों की तरह दोनों निगमों के एकीकरण से पहले दोनों निगमों में काम करने वाले दैनिक कर्मचारियों का विनियमितीकरण किया जा सकता है.
पढ़ें-Hemkund Sahib: 20 मई को खुलेंगे सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट
संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष ने बताया राज्य सरकार द्वारा दोनों निगमों के दैनिक कर्मचारियों को वन टाइम सेटलमेंट के तहत विनियमितीकरण नहीं किए जाने और निगम प्रबंधक तारीख की लंबित मांगों को लेकर आज से मजबूरन कर्मचारी महासंघ उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गया है. जिसमें कर्मचारी दोनों निगम मुख्यालय देहरादून और नैनीताल के परिसर में आंदोलन शुरू कर दिया है. जिसकी सभी जिम्मेदारी राज्य सरकार और निगम प्रबंधन की है.