उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

चारधाम श्राइन बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित करेंगे चार दिसबंर को विधानसभा कूच

सरकार के श्राइन बोर्ड गठन के फैसले के खिलाफ प्रदेशभर में तीर्थ पुराहितों का विरोध जारी है. तीर्थ पुराहितों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ सीएम आवास के साथ ही आगामी चार दिसबंर को विधानसभा कूच करने का ऐलान किया है.

chardham shrine board
चार धाम श्राइन बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन

By

Published : Dec 2, 2019, 8:45 PM IST

देहरादून: चार धाम श्राइन बोर्ड बनाने के सरकार के फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है. चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ सीएम आवास के साथ ही चार दिसबंर को विधानसभा कूच करने ऐलान किया है. वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी मंदिर श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उत्तराखंड चार धाम श्राइन बोर्ड विधयक 2019 की मंजूरी के बाद तीर्थ पुरोहितों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को दो टूक शब्दों में कहा है कि सरकार यह काला कानून वापस ले.

तीर्थ पुरोहित करेंगे विधानसभा कूच.


देवभूमि तीर्थ पुरोहित हकूक धारी संगठन के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है. जिसे सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. अनादि काल से शंकराचार्य पद्धति से चारों धामों की पूजा वहां के स्थानीय तीर्थ पुरोहित और हकूक धारी पंचायतें करती आई हैं. बदरीनाथ और केदारनाथ के 39 एक्ट के तहत बदरी-केदार मंदिर समिति देखरेख कर रही है तो वहीं गंगोत्री-यमुनोत्री की अपनी-अपनी समिति है. वहां से जुड़े लोग अनादि काल से पूजा का निर्वहन करते आ रहे हैं.

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आज सरकार के पास प्रदेश चलाने के लिए क्या धन नहीं है, पूरे भारतवर्ष में यह पहला श्राइन बोर्ड होगा जिसका पैसा सरकार के खजाने में जाएगा. भाजपा सरकार की मंशा है कि मंदिरों से अर्जित दान से सरकार चलाई जाए. आखिरकार सरकार को इस मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों है. तीर्थ पुरोहितों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसके विरोध में मंगलवार को सीएम आवास घेराव करने के साथ ही आगामी चार दिसंबर को विधानसभा कूच का भी कूच करेंगे.

ये भी पढ़ें:रावत Vs रावत की 'ठंड' वॉर जारी, हरदा के 'गेंठी' का त्रिवेंद्र ने यूं दिया जवाब

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि यह काला कानून है. जिसको थोपा जा रहा है. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से सरकार के इस निर्णय की तुलना करते हुए कहा कि अंग्रेजों की तर्ज पर 1925 वाली नीति के तहत जो एक्ट बनाया गया था. उसमें दक्षिण के मंदिरों से अंग्रेजों ने काफी सोना चांदी लूटा था. उसी तर्ज पर सरकार श्रद्धालुओं द्वारा दिए दान को लेना चाहती है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इसके विरोध में चारों धामों को सीज कर दिया जाएगा. यदि वहां के तीर्थ पुरोहित व्यवस्था बनाना जानते हैं तो व्यवस्था बिगाड़ने में भी देरी नहीं लगेगी. सरकार इस काला कानून को वापस ले. उसके बाद ही तीर्थ पुरोहितों से बातचीत करें.

तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार यदि अपने निर्णय में बदलाव नहीं करती है तो सीएम आवास घेराव के साथ ही उग्र आंदोलन किया जाएगा. साथ ही कपाट खोलने का भी विरोध किया जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details