देहरादून: भारत-चीन के बीच एलएसी पर हो रही तल्खी के बीच उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. कोरोना संकट के बीच पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में स्थित गरतांग गली को इनर लाइन (प्रतिबंधित क्षेत्र) से बाहर करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने चीन सीमा से सटे उत्तरकाशी के नेलांग घाटी और गरतांग गली को इनर लाइन से बाहर किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री को पत्र भेजा है. इनर लाइन से बाहर हो जाने के बाद सैलानियों इन खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि गरतांग गली समेत अन्य क्षेत्रों को इनर लाइन से बाहर किए जाने को लेकर केंद्र सरकार से लगातार वार्ता चल रही है. इसके लिए एक पत्र भी केंद्रीय मंत्री को भेजा गया है. नेलांग घाटी के साथ ही पिथौरागढ़ के नाभिटांग, ओम पर्वत, कोठी गांव, व्यास गांव और चमोली के टिम्बरसैंण क्षेत्र, द्रोणागिरि, भविष्य बद्री को भी इनर लाइन से बाहर करने के लिए पत्र में जिक्र किया गया है. लिहाजा उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस फैसला लेगी. सतपाल महाराज के मुताबिक, इससे जनजातीय क्षेत्र में पर्यटन को न सिर्फ बढ़ावा मिलेगा बल्कि उस क्षेत्र का विकास भी होगा. बता दें कि 1962 तक गरतांग गली से होकर भारत-तिब्बत के बीच व्यापार होता था.
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भारत तिब्बत के बीच कभी व्यापार मार्ग रहा गरतांग गली समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां लोहे की छड़ों को चट्टानों में फंसा कर संकरा रास्ता बनाया गया है. केंद्र सरकार की अनुमति के बाद उत्तराखंड सरकार गरतांग गली में पर्यटकों की सुविधा के लिए कैफेटेरिया, शौचालय और ठहरने जैसी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए काम करेगी.