देहरादून:उत्तराखंड में धामी सरकार को अवैध खनन के मामले पर विपक्ष के निशाने पर लाने वाले नंदन सिंह बिष्ट को एक बार फिर सरकार ने पीआरओ के पद पर तैनाती दे दी गई है. चुनाव की घोषणा और आचार संहिता से ठीक 2 दिन पहले हुए नियुक्ति के आदेश के सामने आने के बाद अब सरकार पर ही सवाल उठने लगे हैं. क्या अवैध खनन में लिप्त ट्रक को छुड़वाने से जुड़ा पत्र क्या अनुमति लेने के बाद ही लिखा गया था.
बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में अवैध खनन में लिप्त ट्रक को छुड़वाने का पत्र वायरल होने के बाद जमकर हंगामा हुआ था और इस मामले पर धामी सरकार को अवैध खनन कराने के आरोपों से भी दो-चार होना पड़ा था. यही कारण है कि पत्र के वायरल होने के बाद फौरन नंदन सिंह बिष्ट जो मुख्यमंत्री के पीआरओ थे, उन्हें इस पद से हटा दिया गया था.
साथ ही उस समय कहा गया कि नंदन सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री से अनुमति लिए बिना इस पत्र को लिखा है और इसी आधार पर नंदन सिंह बिष्ट को हटाने के आदेश दिए गए थे लेकिन आचार संहिता से ठीक 2 दिन पहले जिस तरह नंदन सिंह बिष्ट को दोबारा मुख्यमंत्री का पीआरओ तैनात किया गया है, उससे अब फिर यह सवाल खड़े होने लगे हैं.
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ऐसे में क्या सरकार की मंजूरी के बाद ही अवैध खनन के ट्रक छुड़वाने के लिए इस पत्र को लिखा गया था. जाहिर है कि नंदन सिंह बिष्ट की फिर से तैनाती अब विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गई है और राज्य में चुनाव से पहले अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. खास बात यह है कि प्रदेश में अवैध खनन को लेकर विपक्ष समय-समय पर सरकार पर हमले करते रहा है और अब जिस तरह से नंदन सिंह बिष्ट की नियुक्ति के आदेश का पत्र वायरल हुआ है, उसके बाद फिर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ सकती है.