देहरादून: उत्तराखंड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (Uttarakhand Chardham Devasthanam Management Board) को लेकर पुनर्विचार किया जा सकता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami)ने भी इसके संकेत दे दिए थे. मगर शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की बैठक के बाद इस पर पुनर्विचार (reconsider) होने के आसार दूर-दूर तक आसार नजर नहीं आए.
लंबे समय से चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का तमाम तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी विरोध कर रहे हैं. मगर शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक में लिए गए फैसले के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आस लगाए बैठे तीर्थ पुरोहितों को निराशा हाथ लगी है.
बता दें साल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था. इस दौरान चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों ने काफी विरोध किया था. बावजूद इसके राज्य सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही. देवस्थानम बोर्ड अपने पूरे स्वरूप में आकर काम करने लगा.
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मार्च 2021 में प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सत्ता पर काबिज हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि इस बोर्ड के अधीन आने वाले चारधाम समेत सभी 51 मंदिरों को बाहर कर दिया जाएगा. साथ ही देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर पुनर्विचार करने की बात कही थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह तर्क दिया कि इस बोर्ड के अधीन 51 मंदिर नहीं है. बल्कि इसमें मुख्य रूप से चारधाम ही हैं. बाकी छोटे-छोटे मंदिरों को इस बोर्ड के अधीन लाया गया है जो चारधाम के समूह के हैं.
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इसके बाद जुलाई 2021 में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद सत्ता पर काबिज हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के पुनर्विचार के संकेत दिए. शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने भी इस बात पर जोर दिया था कि धामी सरकार, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर पुनर्विचार करेगी. मगर शुक्रवार को हुई बैठक के बाद बोर्ड के पुनर्विचार लगभग पूर्णविराम लग गया है.
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आज हुई बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया की बोर्ड के सभी खर्चों को राज्य सरकार वहन करेगी. इसके साथ ही नाराज चल रहे तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों से बातचीत करने पर भी चर्चा की गई. वहीं, बैठक में सभी हक-हकूकधारियों और तीर्थ पुरोहितों को भरोसा दिलाया गया कि उनके अधिकारों का हनन नहीं किया जाएगा. उनकी सभी समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा.