देहरादून: प्याज पिछले साल की तरह उपभोक्ताओं के आंसू निकाल रहा है. बरसात में फसल खराब होने की वजह से प्याज के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं, जिससे आम उपभोक्ता परेशान हैं. वहीं, प्याज के बढ़ते दाम के बीच उत्तराखंड में प्याज के उत्पादन को लेकर राज्य सरकार की तरफ से अब तक कोई खास प्रयास नहीं हो पाए हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड तमाम कृषि योजनाओं के बीच प्याज के उत्पादन को अपनी खपत के बराबर भी नहीं कर पाया है.
केंद्र सरकार के पास प्याज का महज 25 हजार टन का सुरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) बचा हुआ है. यह स्टॉक नवंबर के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जाएगा. देश में प्याज की खुदरा कीमतें 75 रुपए किलो के पार जा चुकी हैं. देहरादून के बाजारों में प्याज 80 रुपए तक बिक रहे हैं. त्योहारी सीजन में प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से आम लोग भी हैरान हैं. बता दें कि, 2 हफ्ते पहले तक देहरादून में प्याज 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा था.
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि प्रदेश में प्याज का उत्पादन यहां की खपत से भी कम है. लेकिन इसके बावजूद प्याज के दामों में बढ़ोतरी न हो, इसके लिए सरकार ने हाल ही में प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया है. ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और प्याज की कीमतों में गिरावट आए.
उत्तराखंड में इन जगहों प्याज की खेती
उत्तराखंड सहित देश भर में सितंबर से नवंबर तक का महीना प्याज के लिहाज से काफी परेशानियों भरा होता है. कोशिश की जाती है कि इन महीनों में प्याज के दामों को कम रखा जाए. लेकिन साल दर साल यह कोशिश सरकारों की नाकामयाब होती रहती है. उत्तराखंड में प्याज के भंडारण की उचित व्यवस्था भी नहीं दिखाई देती है. साथ ही प्याज के उत्पादन के क्षेत्र में भी राज्य उदासीन रहा है. वर्तमान में उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और नैनीताल में प्याज का उत्पादन किया जा रहा है. उत्तराखंड में फिलहाल 45000 टन प्याज का उत्पादन होता है. लेकिन प्रदेश में प्याज की डिमांड इससे कहीं ज्यादा है.
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