मसूरी:देहरादून राजभवन स्थित राज प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक और नक्षत्र वाटिका के उद्घाटन कार्यक्रम को पूरा करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारी सुरक्षा के बीच मसूरी लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी पहुंचीं. यहां उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी के डारेक्टर श्रीनिवास कटिकितला ने उनका स्वागत किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में सिविल सेवा के 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को संबोधित किया. इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा प्रशिक्षण के दौरान सराहनीय एवं बेहतर कार्य व्यवहार वाले प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्मानित भी किया.
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्तियों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके बाद उन्होंने अकादमी परिसर में स्थापित पोलो ग्राउंड के उन्नयन एवं पोलो एरिना, अकादमी कर्तव्य पथ, अकादमी अमृत टेलीमेडिसिन परामर्श सेवा केन्द्र एवं मोनेस्टी परिसर तथा वॉक-वे ऑफ सर्विस का उद्घाटन किया.
राष्ट्रपति द्वारा पर्वतमाला हिमालय एवं पूर्वोत्तर आउटडोर लर्निंग एरिना का भी शिलान्यास किया गया. इन योजनाओं के संबंध में अकादमी निदेशक द्वारा राष्ट्रपति को विस्तार से जानकारी भी दी गई. इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इन कार्यक्रमों में राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्रेनी आईएएस को संबोधित किया:इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईएएस अकादमी के संपूर्णानंद ऑडिटोरियम में 97 फाउंडेशन कोर्स के 455 प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी को देश के लिए बेहतर प्रशासनिक अधिकारी दिए जाने को लेकर प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षु आईएएस से मिलकर उन्हें आज भारत की विविधता में एकता का प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिल रहा है और यही फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र है. उनको पूरा विश्वास है कि सभी लोग सामूहिक भावना से देश को आगे बढ़ाने के लिये काम करेंगे.
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प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह उन्हें संबोधित कर रही थीं, तो उनकी स्मृति में सरदार बल्लभ भाई पटेल के शब्द गूंज रहे थे. अप्रैल 1947 में सरदार पटेल ने आईएएस प्रशिक्षुओं के एक बैच से मिलते समय कहा था कि 'हमें उम्मीद करनी चाहिए और हमें अधिकार है कि हम हर सिविल सेवक से सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करें, चाहे वह किसी भी जिम्मेदारी के पद पर हो.' राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि लोक सेवक इन अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि इस फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र 'मैं नहीं, हम हैं'. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारी सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाएंगे. उन्होंने कहा कि उनमें से कई आने वाले 10-15 वर्षों तक देश के एक बड़े हिस्से का प्रशासन चलाएंगे और जनता से जुड़ेंगे. वो अपने सपनों के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं.
कैरेक्टर इज द हाईएस्ट वर्चू मूलमंत्र दिया: अकादमी के आदर्श वाक्य 'शीलम परम भूषणम' का उल्लेख करते हुए, जिसका अर्थ है 'चरित्र सबसे बड़ा गुण है', राष्ट्रपति ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण की पद्धति कर्म-योग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें चरित्र का बहुत महत्व है. उन्होंने सलाह दी कि प्रशिक्षु अधिकारियों को समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. उन्होंने कहा कि 'गुमनामी', 'क्षमता' और 'आत्मसंयम' एक सिविल सेवक के आभूषण हैं. ये गुण उन्हें पूरी सेवा अवधि के दौरान आत्मविश्वास देंगे.
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अधिकारी प्रशिक्षुओं ने जो मूल्य सीखे हैं, उन्हें सैद्धांतिक दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहिए. देश के लोगों के लिए काम करते हुए उन्हें कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में उन्हें इन मूल्यों का पालन करते हुए पूरे विश्वास के साथ काम करना होगा. भारत को प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर करना तथा देश की जनता के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करना उनका संवैधानिक कर्तव्य के साथ-साथ नैतिक दायित्व भी है.
राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हित के लिए कोई भी कार्य कुशलतापूर्वक तभी पूरा किया जा सकता है जब सभी हितधारकों को साथ लिया जाए. जब अधिकारी समाज के हाशिए पर पड़े और वंचित वर्ग को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे तो निश्चय ही वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे.
उपेक्षितों वंचितों को विकास का किया आग्रह: राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन समय की मांग है. सुशासन का अभाव हमारी अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है. लोगों की समस्याओं को समझने के लिए आम लोगों से जुड़ना जरूरी है. उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को लोगों से जुड़ने के लिए विनम्र होने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि तभी वो उनसे बातचीत कर पाएंगे और उनकी जरूरतों को समझ सकेंगे और उनकी बेहतरी के लिए काम कर सकेंगे. सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने का दायित्व भी आपको निभाना हैं.
प्रशिक्षण को जमीन पर उतारें अधिकारी: ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया इन मुद्दों से जूझ रही है. इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वो भविष्य को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को पूरी तरह से लागू करने में मददगार बने.
देश के विकास के लिए करें काम: राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आजादी के अमृत काल में 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारी सिविल सेवाओं में प्रवेश कर रहे हैं. अगले 25 वर्षों में, वो देश के सर्वांगीण विकास के लिए नीति-निर्माण और उसके कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इस संबंध में राष्ट्रपति ने अकादमी में आज उद्घाटन किए गए 'वाक वे ऑफ सर्विस' का जिक्र करते हुए कहा कि जहां हर साल, अधिकारी प्रशिक्षुओं द्वारा निर्धारित राष्ट्र निर्माण लक्ष्यों को टाइम कैप्सूल में रखा जाएगा, राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वो अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हमेशा याद रखें और उन्हें प्राप्त करने के लिये समर्पित रहें. उन्होंने कहा कि जब वो वर्ष 2047 में टाइम कैप्सूल खोलेंगे, तो उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने पर गर्व और संतोष होगा.
प्रशिक्षु अफसरों के बैच में 133 महिलाएं देख प्रसन्न हुईं राष्ट्रपति:राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों के इस बैच में 133 बेटियां के शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं और पुरूषों दोनों का योगदान महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने विशेषकर बेटियों से अपील की कि अपनी सेवा के दौरान वह जहां भी रहे, लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहें. जब हमारी बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में आगे आएंगी तो हमारा देश और समाज सशक्त बनेगा.
राष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों की देश के प्रतिभाशाली लोगों को सक्षम सिविल सेवकों में ढालने में उनके महान समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए सराहना की. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अकादमी के नए छात्रावास ब्लॉक और मैस, एरिना पोलो फील्ड सहित आज उद्घाटन की गई सुविधाओं से प्रशिक्षु अधिकारियों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि 'पर्वतमाला हिमालयन एंड नॉर्थ ईस्ट आउटडोर लर्निंग एरिना', जिसका निर्माण आज शुरू हो गया है, हिमालय और भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के बारे में सिविल सेवकों और प्रशिक्षुओं के लिए एक ज्ञान आधार के रूप में कार्य करेगा.
उन्होंने कहा कि भारत को उन्नति और प्रगति की ओर अग्रसर करना के लिए सभी अधिकारियों की संवैधानिक जिम्मेदारी है और नैतिक उत्तरदायित्व भी है. समाज के उन्नति का सभी कार्य संपन्न हो सकता है पर उसके लिये सभी को साथ लेकर चला होगा. उनका मानना है कि समाज के उपेक्षित और वंचित लोगों के विकास के लिए निर्णय लेंगे तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सफल होंगे.
अपने संबोधन के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अकादमी के विजिटर बुक में साइन किया और फिर वो भारी सुरक्षा के बीच मसूरी से देहरादून के लिए रवाना हो गईं. बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मसूरी दौरे को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. चप्पे-चप्पे पर सैनिक बल और पुलिस फोर्स तैनात की गई थी.
दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु मसूरी के कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दून विश्वविद्यालय में उत्तराखंड के विभिन्न स्थानीय उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया. उन्होंनें प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि यह वोकल फॉर लोकल को बढावा देने के लिए सराहनीय प्रयास है. राष्ट्रपति ने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिये जाने के साथ ही उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएं. यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सराहनीय प्रयास होंगे. उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की पहचान उनकी भाषा-बोली एवं स्थानीय उत्पादों से होती है, इनको बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने पद्मश्री बसंती बिष्ट एवं माधुरी बड़थ्वाल को लोक गायन एवं लोक संगीत के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना भी की.