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स्मार्ट सिटी के 30 लाख होने जा रहे है स्वाहा, जानिए क्या है माजरा?

देहरादून में स्मार्ट सिटी(smart city in dehradun) के तहत 30 लाख की लागत से बनाया गया मंच तोड़ने की तैयारी(Preparation to break stage built cost of 30 lakhs) की जा रही है. साथ ही नए मंच को बनाए जाने की निविदा(Tender issued for new platform) भी जारी कर दी गई है. इससे जनता की गाढ़ी कमाई के पौसे को एक साल के अंदर ही बर्बाद किया गया. जिससे लोग नराज हैं

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स्मार्ट सिटी के 30 लाख होने जा रहे है स्वाहा

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Published : Nov 17, 2022, 5:10 PM IST

देहरादून: स्मार्ट सिटी सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही है. एक तरफ भाजपा के ही लोग स्मार्ट सिटी को लेकर अपनी ही सरकार की खिलाफत कर रहे हैं, वहीं, अब स्मार्ट सिटी के तहत हुए कामों को बदलने की कवायद भी तेज हो गई है. बात सिर्फ बदलने की ही नहीं है, बल्कि इसके लिए अब बने बनाए निर्माण को पूरी तरह से ध्वस्त भी किया जाएगा. जिससे हजारों नही बल्कि करीब तीस लाख रूपये भी मिट्टी में मिल जाएंगे.

दरअसल, देहरादून स्थित परेड ग्राउंड में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लगभग 30 लाख रुपये की लागत से स्टेज बनकर तैयार हुआ है. ये मामूली मंच नहीं है, बल्कि इस मंच पर राज्य सरकार के बड़े आयोजन तक होने थे. आयोजनों के साथ-साथ बड़ी रैलियों के लिए ये मंच तैयार किया गया था, ताकि चुनावी माहौल में बड़े राजनेता, जनता को यहां से संबोधित करें, लेकिन हैरानी की बात देखिए, कि जिस मंच को बड़े-बड़े इंजीनियर और अधिकारियों ने सूझ-बूझ से बनाया, उसे ही अब मिट्टी में मिलाने की तैयारी की जा रही है.साथ ही नए मंच को बनाए जाने की निविदा भी जारी कर दी गई है. इससे जनता की गाढ़ी कमाई के पौसे को एक साल के अंदर ही बर्बाद किया गया. जिससे लोग नराज हैं. भाजपा के नेता भी इस पर सवाल उठा रहे हैं. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, कई बार स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर काफी खफा नजर आये.

स्मार्ट सिटी के 30 लाख होने जा रहे है स्वाहा

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यही नहीं, भाजपा के विधायक खजान दास भी अपनी ही सरकार से खासा नाराज हैं. खजान दास स्मार्ट सिटी की नाराजगी पर धरना देने तक की बात कह चुके थे. गौर हो कि देहरादून में 2017 के बाद से स्मार्ट सिटी का काम चल रहा है ताज्जुब की बात है कि जब से काम शुरू हुआ तब से अब तक, कामों को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन मामला अब और गंभीर इसलिए भी है क्योंकि बने बनाए निर्माण भी अब तोड़े जा रहे हैं. बड़ी बात ये है कि इस लापरवाही की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है.

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