देहरादूनःबीते 11 दिसंबर को प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) स्थापना दिवस के मौके पर पीआरडी जवानों का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आगे हंगामा करने का मामला धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. हंगामे के बीच पीआरडी जवानों द्वारा अधिकारियों पर लगाए गए आरोपों के सरकार ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं. युवा कल्याण निदेशालय ने देहरादून के जिला युवा कल्याण अधिकारी चमन सिंह चौहान को इस मामले में इंटरनल जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा है. वहीं, इस पूरे मामले को लेकर सीएम धामी के सामने अपनी बात रखने वाले पीआरडी जवान सुनील लखरवाल ने अपनी मांग और उनकी नौकरी के वर्षों को लेकर अधिकारियों के दिए बयान पर प्रतिक्रिया दी है.
दरअसल, बीते रोज युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल के विशेष सचिव अमित सिन्हा ने बताया था कि मंत्री रेखा आर्य के आदेश के बाद निदेशक जितेंद्र सोनकर के नेतृत्व में इंटरनल जांच के आदेश हो गए हैं. सिन्हा ने बताया था कि संबंधित पीआरडी जवान सुनील लखरवाल ने सीएम को कहा था कि वो काफी समय से बेरोजगार है लेकिन प्रारंभिक जांच में पता चला कि वो पिछले 15 साल से पीआरडी में नौकरी कर रहा है. इसके साथ ही जिन भ्रष्टाचार की बात जवानों मे कही थी उस पर ये जांच की जाएगी कि किस लेवल पर भ्रष्टाचार की बात की गई है.
31 अक्टूबर को कर दिया गया कार्य मुक्त: वहीं, सिन्हा ने बयान के एक दिन बाद इस मामले पर छुट्टी पर भेजे गए पीआरडी जवान सुनील लखरवाल ने बड़ा खुलासा किया है. उनका कहना है कि उन्हें 31 अक्टूबर को परिवहन विभाग से कार्य मुक्त करने के आदेश प्राप्त हो गए थे. उसके बाद से वो कहीं पर भी कार्य नहीं कर रहे हैं. यही मुद्दा उन्होंने सीएम ने सामने उठाया था. उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में पीआरडी निदेशक जितेंद्र सोनकर गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब भी निदेशक के पास कोई पीआरडी जवान अपनी मांगों को लेकर जाता है तो जवान को समय नहीं दिया जाता है.
खेल एवं युवा कल्याण निदेशक ने रखी बात:वहीं, इस पूरे मामले पर खेल एवं युवा कल्याण निदेशक जितेंद्र सोनकर ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि पीआरडी जवानों का यह बयान पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद है. उन्होंने कहा कि मासिक सैलरी से काटे जाने वाले पैसे को लेकर पीआरडी को कॉन्फिडेंस में लेने के बाद ही तमाम सुविधाओं के लिए यह पैसा काटा गया था. साथ ही इस पैसे के दुरुपयोग को लेकर लगे आरोपों की जांच की जा रही है.