देहरादून: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक बाजारों को अस्त-व्यस्त कर दिया है. ये जंग भले ही 2 देशों के बीच हो, लेकिन इसका व्यापक असर दुनियाभर पर पड़ रहा है. भारत भी इसके असर से अछूता नहीं है. हालात ये हैं कि देश के छोटे से राज्य उत्तराखंड को भी इस अंतरराष्ट्रीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के लाखों घर अंधेरे में डूबने की तरफ बढ़ रहे हैं. संकट ऊर्जा का है. लिहाजा कोई भी विकल्प ढूंढने से भी नहीं मिल रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध का उत्तराखंड पर असर, अंधेरे में डूब सकते हैं लाखों परिवार, जानें कारण - Impact of the Russo-Ukraine War on Uttarakhand
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक जोखिम से खनिज, तेल, गैस, खाद्य तेल और उर्वरक जैसी वस्तुओं के दाम बढ़े हैं. वहीं, इससे कई चीजों की आपूर्ति भी बाधित हुई है. प्राकृतिक गैस को लेकर भी दुनियाभर के साथ ही भारत में भी दिक्कतें दिखाई दे रही हैं. उत्तराखंड के गैस आधारित 2 पावर प्लांट भी इसकी कमी से पूरी तरह बंद हो गए हैं. जिससे आने वाले समय में ऊर्जा संकट बढ़ सकता है.
उत्तराखंड में बिजली संकट: उत्तराखंड के सामने एक बड़ा बिजली संकट खड़ा हो गया है. राज्य में फिलहाल इसकी चर्चाएं कुछ खास नहीं हैं, लेकिन ऊर्जा निगम से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि हकीकत में राज्य कितनी बड़ी समस्या से गुजर रहा है. स्थिति यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद भी प्रदेश में 3 घंटे की बिजली कटौती शुरू कर दी गई है. वैसे तो राज्य में गढ़वाल और कुमाऊं के सभी क्षेत्रों में बिजली कटौती को बराबर किया जा रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा कटौती ग्रामीण क्षेत्रों में ही देखने को मिल रही है. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो उत्तराखंड में यह बिजली कटौती कुछ खास नहीं है, लेकिन ऊर्जा प्रदेश के नाते राज्य के लिए यह खतरे की घंटी है. अब जानिए कि मौजूदा ऊर्जा संकट को हम क्यों बड़ा खतरा कह रहे हैं.
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