देहरादून: एक समय में देहरादून की लाइफलाइन कही जाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी आज प्रदूषण के कारण नाला बन चुकी हैं. हाई कोर्ट के आदेश और प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ के बावजूद रिस्पना और बिंदाल की सूरत बदलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इन नदियों के किनारे बसी लगभग दो लाख की आबादी का पुनर्वास प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.
रिस्पना और बिंदाल को प्रदूषण मुक्त करवाना बना चुनौती रिस्पना और बिंदाल नदी आज मानक से करीब 76 गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है. हाल ही में नैनीताल हाई कोर्ट ने एक याचिका पर आदेश देते हुए इन नदियों पर बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सरकार और प्रदूषण कंट्रोल करने वाली एजेंसी से 7 दिन में जवाब भी मांगा है.
जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन बताते हैं कि रिस्पना और बिंदाल में कब्जाधारियों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है. उनके पुनर्वास को लेकर भी विचार किया जा चुका है. जिसके बाद अब इन अतिक्रमणकारियों को दूसरी जगह बसाकर कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जाएगा.
- बिंदाल की देहरादून में कुल लंबाई 13 किलोमीटर है, जिसमें अलग-अलग जगहों पर लोग कब्जा किए हुए हैं.
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार बिंदाल नदी किनारे लगभग 6 हजार लोगों ने कब्जा किया हुआ है.
- रिस्पना नदी किनारे करीब 4700 कब्जेधारी मौजूद हैं.
- इन दोनों नदियों के किनारे करीब 40 हजार भवन बनाए जा चुके हैं. जिसमें से 7 हजार घर हाउस टैक्स भी देते हैं.
- माना जाता है कि करीब दो लाख की आबादी इन नदियों के किनारे बसी हुई है.
रिस्पना और बिंदाल में करीब 129 बस्तियां हैं, जिन्हें पुनर्वासित किए जाने की बात कही जा रही है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना को पुनर्जीवित करने के कई दावे किए और कई कार्यक्रम भी चलाए. लेकिन हालात नहीं सुधरे.
बता दें कि हाई कोर्ट ने इन बस्तियों को हटाए जाने का आदेश कर चुका था. लेकिन सरकार ने वोट बैंक के चलते अध्यादेश लाकर कोर्ट के आदेश पर तीन साल तक के लिए रोक लगा दी.