देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो रही है. हर साल यात्रा सीजन के दौरान चारधाम यात्रा मार्गों पर भारी-भरकम कचरा इकट्ठा हो जाता है, जिसे कहीं ना कहीं उत्तराखंड की छवि धूमिल होती है. वहीं, आगामी 22 अप्रैल से होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्गों पर कचरा एकत्र न हो इसके लिए पहली बार उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड धरातल पर उतरकर निगरानी करेगा. ये काम पूरा करने के लिए उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने यात्रा मार्गों पर नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं.
हर साल यात्रा मार्गों से निकलता है हजारों टन कूड़ा:दरअसल, हर साल यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले पर्यटक, यात्रा मार्गों पर प्लास्टिक कचरा छोड़ जाते हैं. पिछले साल यानी 2022 में करीब 42 लाख और साल 2021 में करीब 35 लाख श्रद्धालु दर्शन करने आए थे. इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है यात्रा मार्गों पर किस कदर कचरा हुआ होगा. दरअसल, तमाम श्रद्धालु प्लास्टिक व अन्य कचरे को इधर-उधर फेंक देते हैं, जिससे हर साल हजारों टन कचरा यात्रा मार्गों से उठाया जाता है.
धूमिल होती है प्रदेश की छवि:यही नहीं, यात्रा मार्गों पर चारों तरफ फैले कूड़े की वजह से न सिर्फ उत्तराखंड की छवि धूमिल होती है बल्कि यात्रा मार्गों पर आने वाले श्रद्धालु भी गलत संदेश लेकर अपने गंतव्य को रवाना होते हैं. हालांकि, इस साल चारधाम यात्रा के दौरान चारधाम यात्रा रूट पर कचरा न फैले, इसके लिए उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने केदारनाथ-बदरीनाथ यात्रा मार्ग और यमुनोत्री-गंगोत्री यात्रा मार्ग पर एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जो स्थितियों पर नजर रखेंगे.
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नजर रखेंगे नोडल अधिकारी:ये नोडल अधिकारी यात्रा मार्गों पर फेंके जाने वाले कचरे की नियमित सफाई पर भी नजर रखेंगे. नोडल अधिकारी इसकी रिपोर्ट समय-समय पर उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी भेजेंगे. दरअसल, यात्रा मार्गों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की होती है, ऐसे में इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि स्थानीय निकाय कचरे का निस्तारण करते रहें, लेकिन सीमित संसाधनों की वजह से समय पर कचरे की सफाई नहीं हो पाती है.
स्थानीय निकायों और प्लास्टिक उत्पादक कंपनियों की जिम्मेदारी तय:तमाम बिंदुओं को देखते हुए उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने स्थानीय निकायों के साथ ही प्लास्टिक उत्पादन को तैयार करने वाली कंपनियों पर भी शिकंजा कसने का एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. दरअसल, नियमित प्लास्टिक उत्पादन करने वाले कंपनियों की जिम्मेदारी होती है कि जो प्लास्टिक उत्पादन कर रहे हैं उसके इस्तेमाल के बाद उसको वैसा ही करने के लिए वापस कंपनी में भेजा जाए. हालांकि, यह कंपनी मैदानी क्षेत्रों में तो काम करती है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में काम करने से पूरी तरह से बच जाती है, जिसको देखते हुए उत्तराखंड पॉल्यूशन बोर्ड अब एक्शन मोड में नजर आ रहा है.
इसी क्रम में उत्तराखंड पॉल्यूशन बोर्ड ने अपने एक्शन प्लान में इस बात को भी रखा है कि अगर स्थानीय निकाय और प्लास्टिक उत्पादन कंपनियां अगर लापरवाही बरतेंगी तो उनपर जुर्माना लगाए जाने के साथ ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उत्तराखंड पॉल्यूशन बोर्ड के सदस्य सचिव सुशांत पटनायक ने बताया कि हर साल चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्गों पर हजारों टन कचरा एकत्र हो जाता है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. इस स्थिति को देखते हुए पहली बार चारधाम यात्रा मार्गों पर निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और स्थानीय निकायों और प्लास्टिक उत्पादन कंपनियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर पूरा एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.