उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

चुनावी मौसम में सोशल मीडिया पर बढ़ी राजनीतिक दलों की जंग, AAP के आगे BJP फेल

उत्तराखंड में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. राजधानी दून की सड़कों पर बड़े-बड़े राजनीतिक चेहरे रोड शो के रूप में नजर आने लगे हैं. बड़े-बड़े राजनीतिक मंचों से राजनीतिक दलों के नेता दूसरे दल के लिए जुबानी बयानों के तीर छोड़ रहे हैं. लेकिन इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी राजनीतिक जंग जारी है. भाजपा-कांग्रेस के बीच की सोशल मीडिया की जंग में अब आम आदमी पार्टी भी कूद गई है. खास बात ये है कि एक साल के भीतर ही आम आदमी पार्टी ने बीजेपी-कांग्रेस को पछाड़ दिया है.

dehradun
देहरादून

By

Published : Aug 20, 2021, 5:51 PM IST

Updated : Aug 20, 2021, 10:51 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड में 2022 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी मुद्दों के साथ एक बार फिर राजनीतिक दलों की चहलकदमी तेज हो गई है. राजनीतिक दल अपने सुनहरे भविष्य की उम्मीद में 2022 के चुनावी दंगल में उतरने के लिए खुद को जोर-शोर से तैयार कर रहे हैं. 2022 विधानसभा चुनाव के सियासी दंगल में उतरने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने पलायन, बेरोजगारी, महंगाई और विकास को हथियार बनाकर अपने तरकश में सजा दिया है.

विकासशील मुद्दों की बात की जाए तो हर दल जनता के बीच अपना विकास का एजेंडा पहुंचाने में लगा है. अब चाहे वह ग्राउंड स्तर से हो या फिर वर्चुअल वर्ल्ड के जरिए, वोटों की फसल काटने के लिए अपने लुभावने वादों को जनता तक पहुंचाने में कोई कमी न रह जाए इसके लिए सभी दल सभी हथकंडे अपना रहे हैं. ग्राउंड पर काम करने के तौर-तरीके पारंपरिक हैं, लेकिन पिछले एक दशक में वर्चुअल वर्ल्ड ने जिस तरह से अपनी अहमियत का डंका बजवाया है, उसे देखते हुए वर्चुअल वर्ल्ड के ट्रैक पर हर दल तेज दौड़ना चाहता है.

चुनावी मौसम में सोशल मीडिया पर बढ़ी राजनीतिक दलों की जंग

वर्चुअल वर्ल्ड को अगर आसान भाषा में समझा जाए, तो सोशल मीडिया की दुनिया, जहां पर सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हर एक व्यक्ति लोगों से जुड़ा हुआ है.

ये भी पढ़ेंःमिशन UK 2022: केंद्रीय नेताओं ने बढ़ाया सियासी पारा, कांग्रेस बोली- हमारे पास राज्य में ही हैं बड़े लीडर

क्यों जरूरी सोशल मीडियाःआज के इस दौर से हर उम्र और हर वर्ग के शख्स के हाथ में स्मार्टफोन है. हर कोई आज सोशल मीडिया पर अनलिमिटेड स्क्रॉल करे जा रहा है. इस स्क्रॉलिंग के बीच जनता का ध्यान खींचने के लिए सोशल मीडिया की सबसे बड़ी लड़ाई है. एक दौर था जब राजनीतिक पार्टियां और प्रत्याशी अखबारों में इश्तहार दिया करते थे. टीवी पर उनके विज्ञापन आया करते थे. लेकिन आज अखबार और टीवी को पछाड़ सोशल मीडिया सबसे आगे निकल चुका है. यही वजह है कि पिछले दशक तक सोशल मीडिया को कुछ न समझने वाली पार्टियां अब सोशल मीडिया का बजट अच्छा खासा रखती हैं. धीरे-धीरे पार्टियों का यह बजट बढ़ता जा रहा है.

सोशल मीडिया से बढ़ी ताकतःउत्तराखंड के कुछ नेता ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहते हैं. उनके फॉलोवर की संख्या भी अच्छी-खासी है. पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत हमेशा ही फेसबुक, ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं. ऐसे ही भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी, उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ट्विटर व फेसबुक पर निरंतर मुस्तैद रहते हैं.

आप का आईटी सेलःउत्तराखंड की सत्ता भाजपा-कांग्रेस से हथियाने दिल्ली से उत्तराखंड पहुंची आम आदमी पार्टी की सोशल मीडिया टीम फिलहाल प्रदेश में सबसे ज्यादा एक्टिव है. आम आदमी पार्टी की सोशल मीडिया टीम आज चुनावी मौसम में ही नहीं, बल्कि पिछले एक साल से लगातार काम कर रही है. आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड सोशल मीडिया इंचार्ज आसुबोध देवरी का कहना है कि उनकी सोशल मीडिया टीम बिल्कुल अपने अलग तौर तरीके से काम करती है. आज आम आदमी पार्टी के फेसबुक पेज पर 3.5 मिलियन फॉलोवर हैं. इसके अलावा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए उनकी टीम लगातार पार्टी के एजेंडे को जनता के बीच पहुंचाने का काम करती है.

ये भी पढ़ेंः UKD हुई हाईटेक, जनता तक पहुंचने के लिए वेबसाइट और टोल फ्री नंबर किया लॉन्च

भाजपा का आईटी सेलःउत्तराखंड भाजपा के आईटी इंचार्ज शेखर वर्मा का कहना है कि भाजपा का आईटी सेल लगातार सक्रिय रहता है. सरकार की जनहित योजनाओं के साथ-साथ, कार्यकर्ताओं के एक विशाल नेटवर्क के जरिए भाजपा की आईटी टीम काम करती है. इसका पूरा फायदा पार्टी के एजेंडे को पब्लिक के बीच ले जाने में काम आता है.

कांग्रेस का आईटी सेलःसोशल मीडिया और आईटी सेल के मामले में कांग्रेस सबसे फिसड्डी है. कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय पर आईटी सेल के नाम पर कुछ भी देखने को नहीं मिलता है. ना ही कांग्रेस सोशल मीडिया और आईटी सेल के प्रति संवेदनशील नजर आती है. हालांकि, इस पर कांग्रेस प्रवक्ता दीप बोहरा कहते हैं कि कांग्रेस आईटी प्रोफेशनल लिस्ट पर भरोसा नहीं करती है. बल्कि, पार्टी के साथ दिल से जुड़े कार्यकर्ताओं के दम पर कांग्रेस अपने एजेंडे को पब्लिक के बीच में ले जाती है.

बहरहाल 2014 लोकसभा चुनाव के बाद सोशल मीडिया की अहमियत काफी बढ़ गई है. राष्ट्रीय दलों से लेकर छोटी से छोटी पार्टी भी सोशल मीडिया के जरिए जनता के दिलों पर राज करने की तरकीबें निकालती हैं. इससे आम जनता को भी फायदा हो रहा है. हालांकि अब देखना ये होगा कि क्या 2022 के विधानसभा चुनाव में जुटे ये राजनीतिक दल सोशल मीडिया के जरिए वोटों की फसल काट पाते हैं या फिर सोशल मीडिया की जंग सोशल प्लेटफॉर्म पर ही कभी न खत्म होने वाली जंग में तब्दील हो जाती है.

Last Updated : Aug 20, 2021, 10:51 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details