देहरादून: भारत में इंटरनेट और सोशल मीडिया की फैलती चादर में राजनीतिक दलों ने भी पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. सत्ताधारी पार्टी हो या फिर विपक्ष दल सभी सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है. खासकर ऐसे समय में जब नेता कोरोना के डर से जनता के बीच में जाकर अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं. ऐसे हालात में राजनीतिक पार्टियों के लिए सोशल मीडिया का प्लेटफॉर्म मुफीद साबित हो रही है.
आज के समय में सोशल मीडिया न सिर्फ जनता तक पहुंचने का एक प्लेटफॉर्म बन गया है. चुनाव के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग किसी से छुपा नहीं है, जिससे सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां जनता तक पहुंचने का प्रयास करती हैं. इसीलिए राजनीतिक दल सोशल मीडिया को लेकर पहले से ज्यादा गंभीर होते जा रहे हैं. इसका एक उदाहरण कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान से लगाया जा सकता है कि जिसमें उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया था कि भारत में फेसबुक और वाट्सएप पर बीजेपी और आरएसएस का नियंत्रण है.
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सोशल मीडिया के जरिए न सिर्फ राजनीति पार्टियां लोगों के बीच अपनी पैठ बैठा रही है, बल्कि अपना एजेंडा भी जन-जन तक पहुंचा रही हैं. फेसबुक जैसे तमाम प्लेटफॉर्म राजनीतिक दलों के लिए विज्ञापनों के लिहाज से एक बेहतरीन मंच के तौर पर उभरा है. यहीं कारण है कि राजनीति पार्टियों के कार्यकर्ता आजकल चुनाव गलियों-मोहल्लों से ज्यादा सोशल मीडिया पर बहस करते दिखाई देते हैं. राजीतिक दलों के प्रतिनिधि सोशल मीडिया पर फॉलोअर बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इसके अलावा अब कुछ जनप्रतिनिधि फेसबुक, इंस्टाग्राम के अलावा अब ट्वीटर पर भी आकर अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगे हैं.