देहरादून: उत्तराखंड शासन ने नई गाइडलाइन जारी कर रैलियों पर रोक लगा दी है. जिसके बाद राजनीतिक दलों ने प्रचार के लिए डिजिटल माध्यम के तौर पर चुना है. डिजिटल माध्यम पर ही अब चुनावी प्रचार का दारोमदार होगा. यही कारण है कि राजनीतिक दलों ने भी डिजिटल टीम को सशक्त करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं.
दरअसल, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण शासन ने 16 जनवरी तक तमाम चुनावी रैलियों पर रोक लगा दी है. साफ है कि इस आदेश के बाद राजनीतिक दलों के लिए डिजिटल ही एक बड़ा माध्यम चुनावी प्रचार प्रसार के लिए रह गया है. ऐसे में राजनीतिक दलों ने भी इन चीजों को समझते हुए अपनी डिजिटल टीम को और भी ज्यादा मजबूत करने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
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उत्तराखंड में डिजिटल माध्यमों पर काम करने के रूप में राजनीतिक दलों की स्थिति देखे तो प्रदेश में इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे दिखाई देती है. इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी का डिजिटल प्लेटफॉर्म भी काफी मजबूत दिखता है. कांग्रेस इस मामले में इन दो पार्टियों की तुलना में पीछे दिखाई देती है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि प्रदेश की जनता ने अब कांग्रेस की सरकार बनाने का मन बना लिया है, ऐसे में भाजपा खुद को कितना भी मजबूत कह लें, लेकिन हकीकत यह है कि जनता कांग्रेस को सत्ता में लाने का मन बना चुकी है. सुरेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि पार्टी ने डिजिटल रूप में भी अपनी तैयारियों को आगे बढ़ाया है.