देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा ही बेहद सीमित रहा है. इसकी बड़ी वजह राष्ट्रीय दलों का महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी बरतना भी है. स्थिति यह है कि एक तरफ विधानसभा में राज्य स्थापना के बाद अब तक कभी महिलाओं के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा 8% भी नहीं पहुंचा है. वहीं, राष्ट्रीय दलों ने टिकट देने में कभी 12% से ज्यादा हिम्मत नहीं दिखाई. शायद यही कारण है कि अब महिलाओं की तरफ से राज्य में 33 से 50% तक टिकट महिलाओं को दिए जाने की मांग उठने लगी है.
उत्तराखंड में महिलाएं किसी भी सरकार को बनाने के लिए अहम भूमिका में है. राज्य की आधी आबादी सभी विधानसभाओं पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करती हैं. लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय दल महिलाओं को तवज्जों देने में कुछ खास गंभीर नहीं दिखाई देते हैं. स्थिति यह है कि राज्य स्थापना से अब तक हुए 4 विधानसभा चुनाव में कभी भी किसी दल ने 8 से ज्यादा महिला प्रत्याशी नहीं बनाए हैं. इस मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने महिलाओं को टिकट देने में आंकड़ा 5 से 8 के बीच का रखा है.
कब कितनी महिलाओं को दिया गया टिकट
- साल 2002 में भाजपा ने 7 महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. तब कांग्रेस ने 6 महिलाओं को टिकट दिया.
- 2002 की विधानसभा में चार महिला प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचीं.
- इसमें दो भाजपा और दो कांग्रेस की महिला विधायक बनीं.
- साल 2007 में भाजपा ने 7 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया. कांग्रेस ने 5 महिलाओं पर भरोसा जताया.
- 2007 में भी 4 महिला विधायक बनीं. जिसमें 3 भाजपा और एक कांग्रेस की महिला विधायक शामिल.
- 2012 में भाजपा ने 7 महिलाओं को टिकट दिया. कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशियों की संख्या बढ़ाकर 8 की.
- साल 2012 में 5 महिला प्रत्याशी विधायक बनीं. जिसमें चार कांग्रेस और एक भाजपा की महिला विधायक शामिल.
- साल 2017 में दलबदल के बाद भाजपा ने महिला प्रत्याशियों की संख्या कम कर दी.
- इस बार 5 महिलाओं को ही टिकट दिया.
- तीन बार लगातार जीत की हैट्रिक लगाने वाली विजया बड़थ्वाल का भाजपा से टिकट कटा.
- कांग्रेस ने इस बार भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व 8 रखा.
- 2017 में विधानसभा में कांग्रेस के केवल 11 विधायक थे, जिसमें 2 महिला विधायक थीं.
- भाजपा की 3 महिला प्रत्याशी इस साल विधानसभा पहुंचीं.