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उत्तराखंड में 'AAP' पर क्यों आई है आफत? बिखर गया 'झाड़ू' का तिनका! - Political crisis of Aam Aadmi Party

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में जोरशोर से चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी संकट में नजर आ रही है. विधासनभा चुनावों में मिली हार के बाद आप के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बाली और सीएम का फेस रहे कर्नल अजय कोठियाल बीजेपी के पाले में चले गए हैं. इन बड़े नेताओं के साथ-साथ आप के सैकड़ों नेता पार्टी छोड़ चुके हैं.

Aam Aadmi Party
आम आदमी पार्टी

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Published : Jun 21, 2022, 7:09 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुए लगभग 3 महीने का समय बीत गया है. आम आदमी पार्टी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले पूरे दमखम के साथ मैदान में दिखाई दी थी. ये बात अलग है कि विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल हों या पार्टी के दूसरे नेताओं ने जमीन पर जाकर वोट नहीं मांगे. उसका नतीजा यह रहा कि पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. लेकिन उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने जब से अपनी राजनीति की शुरुआत की है. तब से पार्टी का जिसने भी झंडा उठाया, वह पार्टी में टिक नहीं पाया है.

अब आलम यह है कि पार्टी अध्यक्ष दीपक बाली और मुख्यमंत्री का चेहरा रहे कर्नल कोठियाल के पार्टी छोड़ने के बाद से पार्टी उत्तराखंड में बिना अध्यक्ष के ही काम कर रही है. आम आदमी पार्टी के बड़े नेता दिल्ली में बैठकर ही एक बार फिर से रणनीति बना रहे हैं. लेकिन दिल्ली में बन रही रणनीतियों के कारण ही उत्तराखंड चुनावों में पार्टी जनता की नब्ज भांप नहीं पाई. पार्टी के नेता भी केजरीवाल और तमाम नेताओं के ढुलमुल रवैया की वजह से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं.

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को छोड़ने वाले नेताओं की लिस्ट इतनी लंबी है कि उनको उंगलियों पर गिना नहीं जा सकता. उत्तराखंड में पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे अनूप नौटियाल और उनके साथ तमाम लोगों को साल 2016 में ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. हालांकि, कहा तो यह भी जाता है कि अनूप नौटियाल ने पहले ही पार्टी को अलविदा कह दिया था. बाद में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अनूप नौटियाल पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया था, जिसके बाद से अब तक अनूप नौटियाल किसी भी राजनीतिक पार्टी में नहीं जुड़े और वह स्वतंत्र तौर पर एक सामाजिक कार्यकर्ता के नाते प्रदेश में काम कर रहे हैं. अनूप नौटियाल भी उत्तराखंड में जाना माना नाम है.

एसएस कलेर चुनाव लड़ने के बाद गायब पार्टी से दिया था इस्तीफा:अनूप नौटियाल के बाद एक बार फिर से पार्टी ने नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज की और फिर कुमाऊं से नाम आया एसएस कलेर का. एसएस कलेर को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राज्य में आम आदमी पार्टी को खड़ा करने की जिम्मेदारी दी. लेकिन कलेर कुछ कर पाते इससे पहले ही विधानसभा चुनाव नजदीक आ गए. खटीमा से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा लिए कलेर ने भी पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और चुनावी मैदान में कूद गए.

साल 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पुष्कर सिंह धामी के सामने ताल ठोंकी. लेकिन वह कमाल नहीं कर पाए और खटीमा विधानसभा चुनावों में वह चौथे नंबर पर रहे. हार के बाद उन्हें दोबारा पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में देखा नहीं गया. ऐसे में माना यही जा रहा है कि एसएस कलेर ने भी पार्टी से अब किनारा लगभग कर ही लिया है.
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बीजेपी के हुए बाली:आम आदमी पार्टी साल 2020 में चुनावी कार्यक्रम की रूपरेखा बना रही थी. ऐसे में युवा और तेजतर्रार नेता कहे जाने वाले दीपक बाली अध्यक्ष बना दिए गए. उत्तराखंड के कुमाऊं से आने वाले बाली जब अध्यक्ष बने. तब उन्होंने भी पार्टी को उसके घर घर तक ले जाने की बात कही थी. अपने कार्यकाल में उन्होंने भी कई आम नागरिकों को आम आदमी पार्टी के साथ जोड़ा.

लेकिन विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद मानो बाली का बल भी जवाब दे गया और 2020 में आम आदमी पार्टी से जुड़ने वाले दीपक बाली भी बीजेपी के पाले में चले गए. दीपक बाली के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता और पार्टी के उपाध्यक्ष ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद राज्य में यह चर्चा तेज हो गई कि आखिरकार आम आदमी पार्टी में कोई नेता क्यों रुक नहीं रहा है? पार्टी को समझ पाती फिर अचानक पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा.

सबसे बड़ा दगा दे गए कोठियाल:उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा रहे कर्नल अजय कोठियाल भी अचानक बीजेपी में शामिल हो गए. उत्तरकाशी सीट से चुनाव हारने के बाद से कर्नल कोठियाल को आम आदमी पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में देखा नहीं जा रहा था. तमाम नेताओं ने पार्टी छोड़ने से पहले जो बयान दिए ठीक वैसा ही बयान आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री के प्रत्याशी रहे कर्नल अजय कोठियाल ने भी दिया.

कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि जिस ढर्रे पर पार्टी चल रही थी, उस तरह से पार्टी नहीं चल सकती. ऐसे में उन्हें लगता है कि अब उनकी राजनीति का शुभ मुहूर्त हुआ है. ऐसे में वह बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. उनके साथ कई पूर्व सैनिक और उनके समर्थकों ने भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. कोठियाल के पार्टी छोड़ने के बाद मानों उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी अचानक से लड़खड़ा गई और कार्यकर्ताओं के इस्तीफे का दौर शुरू हो गया.

बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी से दूसरे दलों में या पार्टी का दामन छोड़ चुके नेताओं की संख्या 800 से ऊपर जा चुकी है, जिसमें 30 से ज्यादा बड़े नेता भी शामिल हैं, जिनके ऊपर आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड में खड़े करने की जिम्मेदारी थी.
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ये लिस्ट तो कुछ नहीं, इससे अधिक पार्टी छोड़ चुके है नेता:यह बात तो थी पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री का चेहरा रहे कर्नल अजय कोठियाल की, जबकि कार्यकारी अध्यक्ष अनंत राम चौहान, भूपेश उपाध्याय और प्रेम सिंह जैसे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भी पार्टी से किनारा कर चुके हैं. इसके साथ ही रविन्द्र जुगरान, वरिष्ठ नेता चन्द्र किशोर जखमोला, मेजर जनरल, प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद कपरूवाण, प्रदेश उपाध्यक्ष अनन्त राम चौहान IPS, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सुबर्धन शाह, IAS संजय भट्ट, प्रदेश प्रवक्ता राकेश काला, प्रदेश प्रवक्ता आशुतोष नेगी, प्रदेश प्रवक्ता अवतार राणा, प्रदेश प्रवक्ता जितेंद मलिक, प्रदेश सचिव अतुल जोशी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य संजय पोखरियाल, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य संजय सिलसुवाल, फाउंडर रिंकू सिंह राठौर, जिलाध्यक्ष पछवादून गुरमेल सिंह राठौर और जिलाध्यक्ष पछवादून संजय छेत्री जैसे सैकड़ों नाम शामिल हैं.

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 पर AAP का फोकस:मौजूदा समय में गढ़वाल हो या कुमाऊं, फिलहाल पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बसंत कुमार, शिशुपाल यादव और राजेश बिष्ट जैसे नाम शामिल हैं. जबकि आम आदमी पार्टी का फिलहाल पूरा का पूरा फोकस हिमाचल प्रदेश में लगा हुआ है. चुनावों में जो चेहरे देहरादून या हल्द्वानी में दिखाई दे रहे थे. उन सभी चेहरों की ड्यूटी हिमाचल प्रदेश में लगाई हुई है.

क्या कहते हैं आप के नेता:आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश शर्मा कहते हैं कि जो लोग भी पार्टी छोड़कर गए हैं, अगर वह यह सोच रहे हैं की पार्टी उनके जाने से बिखर जाएगी या उत्तराखंड में कुछ नहीं कर पाएगी तो यह गलतफहमी है. नरेश शर्मा कहते हैं कि मैं इतना बड़ा नेता नहीं कि दूसरे नेताओं पर कमेंट करूं. लेकिन अगर आप आम आदमी पार्टी के शुरुआती दिनों से लेकर अब तक का सफर देखें, तो दिल्ली में कुमार विश्वास, प्रशांत किशोर, मौजूदा राज्यपाल किरण बेदी हों या वह बड़े चेहरे जिन्होंने पार्टी को शुरुआती दौर में खड़ा किया. वह सभी फिलहाल पार्टी में नहीं हैं. लेकिन अपने दम पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और पार्टी के संयोजक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब में सरकार बनाने में कामयाब रहे.

इतना ही नहीं दिल्ली में भी दोबारा आम आदमी पार्टी की सरकार आई. किसी भी प्रयास को करने में उसको सफल होने में समय लगता है. उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता अभी संघर्ष कर रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि जब साल 2027 का चुनाव होगा तो उत्तराखंड में सीधी टक्कर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की होगी. पंजाब और दिल्ली में जो कार्य हुए हैं उसको उत्तराखंड के साथ-साथ पूरा देश देख लेगा और वह दिन दूर नहीं जब देश के तमाम राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार होगी. किसी भी अच्छे कार्य को करने में समय जरूर लगता है, हम उसी कार्य को कर रहे हैं.

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