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पुलिस अधिकारियों ने बोर्ड परीक्षा पर शेयर किए अपने अनुभव, कहा- एग्जाम कोई रेस नहीं है

उत्तराखंड में बोर्ड परीक्षा होने वाली है. इसमें छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों की भी अहम भूमिका रहती है. साथ ही परीक्षा में किस तरह से तैयारी करें इसको लेकर उत्तराखंड के पुलिस अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए हैं.

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पुलिस अधिकारियों ने शेयर किए अपने अनुभव.

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Published : Feb 15, 2020, 12:53 PM IST

देहरादून: प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अभिभावकों का दबाव भी अपने बच्चों के परफॉर्मेंस और परीक्षा परिणाम में अंकों को लेकर बना रहता हैं. इसके लिए छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं, छात्रों को इस परीक्षा में बड़े-बड़े तनाव का सामना करना पड़ता है. साथ ही बच्चों पर अभिभावकों का खासा दबाव होने के कारण मानसिक तनाव की स्थिति बन जाती है, जिसे छात्रों और अभिभावकों को किस तरह से हैंडल करना चाहिए, इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पुलिस विभाग के आलाधिकारियों से बात कर उनसे परीक्षा में तनाव मुक्त रहने का मंत्र जाना. साथ ही कुछ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि किस तरह से उन्होंने बोर्ड में कम अंक पाकर भी इस बड़े मुकाम को हासिल किया. देखिए ये खास रिपोर्ट...

पुलिस अधिकारियों ने बोर्ड परीक्षा पर शेयर किए अपने अनुभव.

बच्चों को अंक बढ़ाने वाली मशीन न समझे अभिभावक: आईजी पुष्पक ज्योति

उत्तराखंड पुलिस विभाग में नियुक्ति देने जैसे बड़े कार्मिक पद पर तैनात आईजी पुष्पक ज्योति का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं को लेकर उन्हें स्टूडेंट को नहीं, बल्कि उनके माता पिता को संदेश देना है. आईजी ज्योति के अनुसार, बच्चे प्रतिस्पर्धा के दौर में अपनी तैयारियां कर बेहतर परिणाम की हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन यहां समस्या अभिभावकों को लेकर सामने आती है. जो अपने बच्चों को आसपास के माहौल को देखकर अच्छे परिणाम के लिए भारी दबाव बनाते हैं, जिसे लेकर बच्चे अक्सर तनाव में आ जाते हैं.

वहीं, उन्होंने बताया कि अक्सर ऐसा देखा गया है अभिभावकों के प्रेशर में आकर बच्चा वो रिजल्ट नहीं दे पाता है जिसको लेकर उस पर निरंतर दबाव रहता है, जिसके बाद बच्चे डिप्रेशन में आकर गलत कदम उठा लेते हैं. अभिभावकों को अपने बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार कर उन्हें दिमागी तौर पर शांत और तनाव मुक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे वो बोर्ड पेपर को लेकर पहले बने हुए अपने प्रेशर को नियंत्रण में रखकर परीक्षा और प्रश्नपत्र को तैयारियों के मुताबिक आराम से कर सकें.

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परीक्षा में हल्का प्रेशर लेना परफॉर्मेंस को बरकरार रख सकता है: डीजी अशोक कुमार

बोर्ड परीक्षाओं को लेकर प्रदेश में अपराध और कानून व्यवस्था की बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे महानिदेशक अशोक कुमार थोड़ा अलग राय रखते हैं. उनका मानना है कि स्कूली परीक्षा के साथ-साथ इंसान को जीवन में कई परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ता है, इसलिए परीक्षा जिंदगी जीने का एक पार्ट है. ऐसे में किसी भी तरह की परीक्षा को लेकर अतिरिक्त तनाव लेने के बजाए ठंडे दिमाग से प्लान कर उस पर परफॉर्मेंस देने का प्रयास ज्यादा बेहतर होता है.

डीजी अशोक कुमार के अनुसार, बोर्ड परीक्षा को लेकर स्वभाविक तौर पर बच्चों और अभिभावकों का हल्का प्रेशर तो सही है, जो एक बैलेंस परफॉर्मेंस देने के लिए जरूरी भी है. हमें उस कपड़े को सुखाने वाली तार की तरह लचीला होना होता है जो दबाव पड़ने पर थोड़ा और लचीला होकर झुकती जरूर है, लेकिन अगर उसे हद ज्यादा कस दिया जाए कि वो टूट भी सकती है. ठीक बैलेंस वाली तार की कसावट की भांति अपने परफॉर्मेंस देने के लिए हल्का प्रेशर लेकर लचीलापन बरकरार रखना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि अपने आप को इतना प्रेशर लेकर कस दिया जाए कि परीक्षा का परफॉरमेंस प्रभावित हो जाए. अभिभावकों को ये बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि बच्चे अगर हाई मार्क्स नहीं लाते तो वो जीवन में कुछ बड़ा नहीं कर सकते, ये धारणा बिल्कुल गलत है. परीक्षा में आने वाले अंकों से किसी के टैलेंट का सरोकार नहीं होता है.

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