देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जहां एक तरफ उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून (Conversion law in Uttarakhand) को यूपी की तर्ज पर सख्त बनाने की बात कह रहे हैं तो वहीं इस मामले में पुलिस का दोहरा चरित्र भी सामने आया है. डालनवाला क्षेत्र से सामने आए धर्मांतरण मामले में पुलिस ने क्रॉस एफआईआर दर्ज किया है. ऐसे में पुलिस की इस दोहरे चरित्र से सवाल उठ रहे हैं कि बिना जांच-पड़ताल के कैसे मुकदमा दर्ज हो रहे हैं?
क्या था मामला?बता दें कि बीते रविवार यानी 20 नवंबर को हिंदू संगठन के कुछ लोगों ने थाना डालनवाला में एक विशेष समुदाय के खिलाफ धर्मांतरण कराने की शिकायत दी थी. इस दौरान जमकर हंगामा भी हुआ था. जिसके बाद तत्काल ही पुलिस ने प्रारंभिक जानकारी के आधार मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन हैरानी की बात है कि एक दिन बाद ही सोमवार यानी 21 नवंबर को जिस पक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. उनकी तहरीर के आधार पर पहले पक्ष के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
देहरादून धर्मांतरण मामले में क्रॉस FIR दर्ज. ऐसे में पुलिस शुरुआती जांच में इस बात का ही पता नहीं लगा पाई कि आखिर मामला है क्या? लेकिन अब मामले में क्रॉस एफआईआर दर्ज हो गया है. अब देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर तथ्यों के आधार पर गहनता से जांच पड़ताल कर सच्चाई का पर्दाफाश करने का दावा कर रहे हैं. हालांकि, मामले में एसएसपी दलीप कुंवर (Dehradun SSP Daleep Singh Kunwar) ने सफाई दी है.
ये भी पढ़ेंःदेहरादून धर्मांतरण मामले में मुकदमा दर्ज, जांच में जुटी पुलिस
उनका कहना है कि पहले धर्मांतरण की शिकायत करने वालों की तहरीर पर एक पक्ष पर मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन अब दूसरी पार्टी की तहरीर पर भी क्रॉस मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. ऐसे में संबंधित डालनवाला कोतवाल को इस बात के सख्त निर्देश दिए गए हैं कि फैक्ट्स के आधार पर गहनता से जांच पड़ताल कर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. ताकि पूरे प्रकरण से पर्दाफाश किया जा सके.
दोनों पक्षों की तहरीर पर दोनों पक्षों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. आगे इस प्रकरण में क्या सच्चाई है? इसकी तस्दीक विवेचना पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगी. -दलीप सिंह कुंवर, एसएसपी, देहरादून
उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून पर लगी चुकी है मुहरःगौर हो कि हाल ही में ही यानी 16 नवंबर को सचिवालय में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पर मुहर लगाई गई. जिसके तहत उत्तराखंड में धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध में शामिल किया गया है. उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
लिहाजा, अब यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून सख्त बनाया गया है. इस विधेयक को जल्द ही विधानसभा में लाया जाएगा. माना जा रहा है कि प्रलोभन, जबरन, विवाह आदि के उद्देश्य से विश्वास में लेकर धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की व्यवस्था से धर्मांतरण पर अंकुश लग सकेगा.
ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड में क्यों पड़ी सख्त धर्मांतरण कानून की जरूरत? जानिए इस पर क्या बोली कांग्रेस