देहरादूनः रायपुर थाना पुलिस ने बैंक लोन की फर्जी एनओसी बनाकर वाहन बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. मामले में पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को दबोचा है. अब आरोपियों का आपराधिक इतिहास खंगाल जा रहा है. इस गिरोह ने हाल में ही एक व्यक्ति को फर्जी बैंक की एनओसी दिखाकर टू व्हीलर एक्टिवा बेची थी. मामले में पीड़ित की शिकायत मिलने पर पुलिस हरकत में आई और पूरे मामले का भंडाफोड़ किया. आरोपियों ने अभी तक 80 से 90 वाहनों को इसी प्रकार फर्जी एनओसी बनाकर नए ग्राहकों को दोपहिया की आरसी उपलब्ध करा चुके हैं.
गौर हो कि बीती 26 फरवरी को अभिषेक बिष्ट ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि 15 दिसंबर 2021 को अजहर नाम के डीलर से एक सेकेंड हैंड एक्टिवा खरीदी थी. 25 फरवरी को एक्टिवा को रिकवरी एजेंट नवीन जायसवाल ने आईएसबीटी के यार्ड में खड़ी करवा दी. जिससे जानकारी मिली कि एक्टिवा के पुराने मालिक ओम प्रकाश का अभी भी लोन बैंक में बकाया चल रहा है. जिसके चलते बैंक से रिकवरी में एक्टिवा को खड़ा कराया है.
जब पीड़ित ने और जानकारी जुटाई तो पता चला कि अजहरत्रिशक्ती सर्विस रिकवरी एजेंसी के पास राहुल खरोला, दीपक धनै काम करते हैं. जिसके एजेंसी का मालिक आनंद सिंह खरोला और रूपेश गौड़ है. उनकी ओर से वाहनों की फर्जी एनओसी बनाकर धोखाधड़ी की जा रही थी. इनके साथ मेहरबान सिंह खरोला नाम का व्यक्ति भी शामिल था. जो खुद को बैंक का मैनेजर बताता था. जो बैंक की फर्जी एनओसी के माध्यम से कूटरचित एनओसी और दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे थे. पीड़ित की तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया.
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आरोपी की गिरफ्तारी के लिए गठित टीम ने आरोपी अजहर, राहुल खरोला, दीपक धनै और शाहरुख अहमद को गिरफ्तार किया. आरोपी अजहर के कब्जे से उसका मोबाइल फोन बरामद हुआ. जिसके मोबाइल फोन में 15 वाहनों की फर्जी बैंक एनओसी की पीडीएफ, 35 वाहनों की फोटो और वाहन की ग्राहकों की खरीद फरोख्त की व्हाट्सएप चैट, वाहनों की खरीद फरोख्त से संबंधित लेन देन, गूगल-पे स्लिप और अन्य आरोपियों से की गई व्हाट्सएप पाई गई.